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प्रवासियों के लौटने पर राहुल और प्रियंका की मांग, आर्थिक रूप से मदद करे सरकार

राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार से प्रवासी मजदूरों को आर्थिक मदद देने की अपील की है। वहीं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी केंद्र सरकार को घेरा और 10 सवाल भी किए।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 10:38 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:38 PM (IST)
प्रवासियों के लौटने पर राहुल और प्रियंका की मांग, आर्थिक रूप से मदद करे सरकार
दोनों नेताओं ने सरकार के रवैये पर भी उठाए सवाल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कुछ राज्यों की ओर से उठाए गए लॉकडाउन जैसे कदमों के बाद प्रवासी मजदूरों और कामगारों का फिर से घर लौटना तेज हो गया है। कांग्रेस ने मंगलवार को लॉकडाउन पर तो सवाल नहीं उठाया लेकिन घर लौट रहे प्रवासियों की परेशानियों के लिए केंद्र को जरूर कठघरे में खड़ा कर दिया। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूछा, क्या यही आपकी योजना है? केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके बैंक खातों में रुपये डाले। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी इसको लेकर मुखर दिखीं। उन्होंने कहा कि कोविड की भयावहता को देखते हुए यह तो स्पष्ट था कि ल\कडाउन जैसे कदम उठाने पड़ेंगे। फिर भी प्रवासी श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। यह ठीक नहीं है। सभी को आर्थिक मदद दी जाए।

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प्रवासी मजदूरों के लिए आर्थिक मदद की अपील

प्रवासी मजदूरों के लौटने का मुद्दा उठाते हुए राहुल गांधी ने सरकार से ऐसे लोगों के बैंक खाते में रुपये डालने की मांग की। साथ ही सवालिया लहजे में कहा कि कोरोना फैलाने के लिए जनता को दोष देने वाली सरकार क्या ऐसा जन सहायक कदम उठाएगी? इसके बाद प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार से इन लोगों की मदद की वकालत की और कहा कि नीतियां ऐसी हो, जो सबका ख्याल रखे। गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी वालों को आर्थिक मदद वक्त की मांग है।

रणदीप सुरजेवाला ने भी सरकार को घेरा

वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी केंद्र सरकार को घेरा और 10 सवाल भी किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी ने चेताया था कि कोरोना की जंग जीती नहीं गई है। खतरा टला नहीं है। लेकिन सरकार ने मजाक उड़ाया और कहा कि कोरोना को तो हमने मार गिराया। राहुल गांधी ने इसके बाद भी छह अप्रैल को पत्र लिखकर सरकार को चेताया था कि कोरोना की दूसरी लहर जारी है, वैक्सीन की उम्र और शर्त हटा दीजिए। सबको वैक्सीन लगाइए। पूरी दुनिया से वैक्सीन मंगाइए। लेकिन फिर सरकार ने मजाक उड़ाया और कंपनियों को हमदर्द बताया। लेकिन अगले दिन ही वैक्सीन आयात खुलवाया। इसी तरह से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 11 अप्रैल को सरकार को पत्र लिखकर पूछा था कि सरकार बताए कितनी करोड़ वैक्सीन खरीदी गई है और कब तक लगाई जाएगी। इस पर उनका मजाक उड़ाया गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि अब तो वैक्सीन की कीमत का निर्णय करने का अधिकार कंपनियों पर छोड़ दिया गया है।


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