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राफेल सौदाः सुनवाई के बाद एयरमार्शल से बोले CJI: धन्यवाद, अब आप अपने वार रूम्स में जाइए

उनसे सवाल-जवाब करने के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, एयर मार्शल्स अब जा सकते हैं। यह एक अलग तरह का वार रूम है और आप सभी अपने वार रूम्स में जा सकते हैं। धन्यवाद। कोर्ट की सुनवाई इसके बाद भी जारी रही।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 12:04 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 12:04 PM (IST)
राफेल सौदाः सुनवाई के बाद एयरमार्शल से बोले CJI: धन्यवाद, अब आप अपने वार रूम्स में जाइए
राफेल सौदाः सुनवाई के बाद एयरमार्शल से बोले CJI: धन्यवाद, अब आप अपने वार रूम्स में जाइए

नई दिल्ली [प्रेट्र]। राफेल सौदे की सीबीआइ जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वायुसेना के अधिकारियों ने भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट में जोर देकर कहा कि राफेल जैसे 4 प्लस या 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को बेड़े में शामिल किए जाने की जरूरत है। उनसे सवाल-जवाब करने के बाद मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, 'एयर मार्शल्स अब जा सकते हैं। यह एक अलग तरह का वार रूम है और आप सभी अपने वार रूम्स में जा सकते हैं। धन्यवाद।' कोर्ट की सुनवाई इसके बाद भी जारी रही।

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दरअसल, सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई ने कहा कि राफेल सौदे को लेकर विवाद चूंकि भारतीय वायुसेना से संबंधित है, ऐसे में वह इसके अधिकारियों का भी पक्ष जानना चाहते हैं। संक्षिप्त नोटिस पर वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी- एयर वाइस मार्शल जे. चलपति, एयर मार्शल अनिल खोसला और डिप्टी चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल वीआर चौधरी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

वायुसेना के अफसरों ने बेंच को बताया कि सुखोई 30 सेना में शामिल किया गया सबसे नवीनतम प्लेन है, जो 3.5 पीढ़ी का एयरक्राफ्ट है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने महाराष्ट्र के नासिक और कर्नाटक के बेंगलुरु में बनाया है। हमारे पास चौथी या पांचवीं पीढ़ी का प्लेन नहीं है।

चलपति ने कहा कि देश को पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट की जरूरत है, जिसमें शानदार स्टील्थ टेक्नोलॉजी (चकमा देने की तकनीक) और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्धक क्षमता होती है। जस्टिस गोगोई ने चलपति से वायुसेना में 1985 में 'मिराज' विमान के बाद शामिल विमानों के बारे में पूछा। जब अधिकारी ने 'न' में जवाब दिया तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'इसका मतलब 1985 से 2018 तक कोई विमान शामिल नहीं हुआ।' करीब आधे घंटे के बाद जस्टिस गोगोई ने कहा कि वह अधिकारियों से इतना ही जानना चाहते थे और उन्होंने उनसे अपने दफ्तर जाने को कहा।

कारगिल लड़ाई का जिक्र

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि आज हमारी वायुसेना काफी कमजोर है। अगर कारगिल लड़ाई के समय हमारे पास राफेल होता, तो हम इतने जवान नहीं गंवाते। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कारगिल 1999 में हुआ था और राफेल 2014 में आया है। इसलिए ऐसी बातें न करें।

फ्रांस ने नहीं दी है गारंटी

फ्रांस ने राफेल सौदे पर भारत को कोई संप्रभु गारंटी नहीं दी है, बल्कि उसने लेटर ऑफ कंफर्ट दिया है। वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 25 सितंबर, 2015 को दिए लेटर ऑफ कंफर्ट में कहा गया है कि यदि किसी तरह की कोई मजबूरी आती है, तो फ्रांस सरकार उसका समाधान करेगी।


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