कांग्रेस का दावा राफेल जेट सौदे में देश को 12600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
रणदीप सुरजेवाला ने डसाल्ट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एनडीए सरकार भले ही राफेल खरीद का सच छुपा रही है, मगर यह सच्चाई कंपनी ने खुद ही बता दी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने रॉफेल जेट खरीद सौदे में कथित घोटाले का मसला एक बार उछाला है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा के बीच कांग्रेस ने रॉफेल के लिए ज्यादा कीमत चुकाने का मुद्दा उठा एनडीए सरकार को घेरने का सियासी दांव चला है। पार्टी ने दावा किया है कि 36 रॉफेल जेट की खरीद के लिए सरकार ने 12632 करोड रुपये का ज्यादा भुगतान कर देश के खजाने को नुकसान पहुंचाया है।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति के भारत पहुंचने से कुछ घंटे पहले राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, पार्टी मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और पूर्व रक्षा राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद भवन में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर रॉफेल खरीद में घोटाले का दावा किया। आजाद ने रॉफेल जेट बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन की रिपोर्ट से साफ है कि भारत ने यह विमान मिस्र और कतर की तुलना में काफी महंगे दाम पर खरीदा है। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में कतर और मिस्र को 1319 करोड रुपये प्रति राफेल जेट के हिसाब से 24-24 विमान बेचने का खुलासा किया गया है। आजाद ने कहा कि जबकि केवल 11 महीने बाद भारत ने यही विमान 1670 करोड रुपये प्रति जेट के हिसाब से खरीदा।
रणदीप सुरजेवाला ने डसाल्ट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एनडीए सरकार भले ही राफेल खरीद का सच छुपा रही है, मगर यह सच्चाई कंपनी ने खुद ही बता दी है कि भारत ने प्रति जेट 350.90 करोड रुपये ज्यादा कीमत चुकाई है। इस हिसाब से 36 विमानों के लिए भारत ने 12632 करोड़ रुपये ज्यादा भुगतान किया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि इसी वजह से सारे नियमों को ताक पर रखकर कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति से पूर्व अनुमति लिये बिना पीएम ने एकतरफा यूपीए के समय हुए पारदर्शी राफेल डील को रद कर 126 की जगह केवल 36 विमान खरीदे के फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि भारत-फ्रांस की सरकारों के बीच इसको लेकर समझौता इसीलिए हुआ था कि भारत से कम कीमत पर किसी भी देश को यह जेट नहीं बेचा जा सकता। ऐसे में दोनों देशों के बीच इस समझौते का भी औचित्य नहीं रह गया, क्योंकि मिस्र और कतर ने कम दाम पर इन विमानों को खरीदा है।
राफेल सौदे का ऑफसेट कांट्रेक्ट सरकारी कंपनी एचएएल की बजाय निजी कंपनी रिलायंस डिफेंस को देने को लेकर सरकार पर किये जा रहे अपने प्रहार को जारी रखते हुए सुरजेवाला ने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन पर गुमराह करने का आरोप लगाया। रक्षा मंत्री के 7 फरवरी के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें निर्मला ने ऑफसेट कांट्रेक्ट की भारतीय पार्टनर कंपनी का चयन नहीं होने की बात कही है, जबकि डसाल्ट एवियेशन की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट में रिलायंस डिफेंस को साझीदार बनाने का समझौता होने की बात साफ कही गई है। सुरजेवाला ने कहा कि कीमत से लेकर ऑफसेट कांट्रेक्ट सभी में गड़बड़ झाला है और अगर ऐसा नहीं है तो फिर प्रधानमंत्री या रक्षामंत्री राफेल की कीमत का खुलासा क्यों नहीं कर रहे।
कांग्रेस की झूठ और भ्रम की राजनीति का एक और संस्करण- भाजपा
कांग्रेस की ओर से राफेल को लेकर लगाए गए आरोपों को भाजपा ने भ्रम और असत्य की राजनीति करार दिया है। भाजपा प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि राष्ट्रहित में की गई सर्वश्रेष्ठ डील पर भी कांग्रेस उंगली उठा रही है। कांग्रेस के वक्त में में राफेल को लेकर कभी कोई डील ही नहीं हुई। बल्कि लालच और लोभ में कांग्रेस राफेल को दबाकर बैठी रही। देश की सामरिक सुरक्षा और अखंडता ताक पर रखकर कांग्रेस बैठी रही। अब अच्छी डील हुई है तो उस पर भी सवाल खड़े कर रही है। लेकिन जिस तरह कांग्रेस के दूसरे मिथ्या प्रचार को जनता ने ठुकराया है वैसे ही इसे भी खारिज कर देगी।