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चीन को संकेत, तीन महीने में तीसरी बार क्वाड देशों की बैठक, हिंद प्रशांत क्षेत्र में कानून सम्मत व्यवस्था और कनेक्टिविटी रहे मुद्दे

भारत अमेरिका जापान और आस्ट्रेलिया के गठजोड़ वाले क्वाडिलेटरल सिक्यूरिटी डायलॉग (क्वाड Quad member nations) समूह देशों के बीच शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय मंत्रणा हुई। इस बैठक में हिंद महासागर क्षेत्र की मौजूदा स्थिति चर्चा के केंद्र में रही।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 10:10 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 10:10 PM (IST)
चीन को संकेत, तीन महीने में तीसरी बार क्वाड देशों की बैठक, हिंद प्रशांत क्षेत्र में कानून सम्मत व्यवस्था और कनेक्टिविटी रहे मुद्दे
भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के गठजोड़ वाले क्वाड समूह देशों के बीच शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय मंत्रणा हुई।

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के गठजोड़ वाले क्वाडिलेटरल सिक्यूरिटी डायलॉग (क्वाड) समूह को ठोस आकार देना अब इन चारों देशों की एक बड़ी कूटनीतिक प्राथमिकता बनती दिख रही है। शुक्रवार को चारों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच एक उच्चस्तरीय मंत्रणा हुई जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र की मौजूदा स्थिति चर्चा के केंद्र में रही। चीन की चुनौती के मद्देनजर क्वाड के प्रति उक्त चारों देशों की गंभीरता का पता इस बात से चलता है कि सितंबर, 2020 के बाद यह विभिन्न स्तर की तीसरी बैठक है।

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केंद्र में हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र

चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने छह नवंबर, 2020 को टोक्यो में क्वाड के तहत मुलाकात भी की थी। क्वाड के तहत हुई तीन महीनों में तीन बैठकों के दौर ने इस समूह की उपयोगिता और भविष्य को लेकर किंतु-परंतु को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। यह बैठक तब हुई है जब एक दिन पहले ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र भारत की राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक गतिविधियों के केंद्र में है। अमेरिका की तरफ से भी यह बयान आया है कि अगर चीन और भारत के बीच विवाद गहराता है तो अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा।

कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा विकास पर चर्चा

क्वाड देशों की नौसेनाओं के बीच एक महीने पहले ही हिंद महासागर में संयुक्त सैन्य अभ्यास खत्म हुआ है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि बैठक में स्थानीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई। कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा विकास को लेकर भी विमर्श हुआ। आतंकवाद, साइबर टेरोरिज्म और सुरक्षा से जुड़े दूसरे मुद्दों पर भी काफी अच्छी बातचीत हुई है। इस विमर्श का उद्देश्य यही है कि समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमन-शांति, समृद्धि और स्थायित्व को बढ़ावा दिया जा सके।

आपूर्ति श्रृंखला मजबूत बनाने पर भी चर्चा

कोविड-19 को लेकर भी विमर्श हुआ और कोविड के बाद स्थायी आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत बनाने को लेकर भी चर्चा हुई। सभी देशों ने हिंद प्रशांत सेक्टर को सभी देशों के लिए एक समान अवसर वाला बनाने का समर्थन किया। खास तौर पर यूएनसीएलओएस के अंतरराष्ट्रीय नियमों का किस तरह सभी पक्ष आदर करें, इस पर भी चर्चा हुई है।

चीन सागर पर फैसले नहीं मान रहा बीजिंग

सनद रहे कि यूएनसीएलओएस संयुक्त राष्ट्र के तहत एजेंसी है जो दो देशों के बीच समुद्री सीमा के झगड़े पर फैसला करती है। दक्षिण चीन सागर को लेकर इसके फैसले को चीन नहीं मान रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि चीन इन चारों देशों के इस गठजोड़ को लेकर बेहद सतर्क है। कुछ महीने पहले ही अमेरिका के उपविदेश मंत्री ने क्वाड को नए नाटो संगठन के तौर पर चिन्हित किया था।

वियतनाम के पीएम के साथ मोदी की सोमवार को बैठक

क्वाड की बैठक में आसियान को लेकर भी काफी गंभीर चर्चा हुई। चारों देशों ने कहा कि ¨हद प्रशांत क्षेत्र में आसियान की भूमिका आगे भी अहम रहनी चाहिए। आसियान के मौजूदा अध्यक्ष वियतनाम की बैठक में काफी प्रशंसा की गई है। सनद रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम के प्रधानमंत्री के साथ सोमवार को शिखर बैठक है। वियतनाम भी चीन से त्रस्त देशों में से एक है।


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