Move to Jagran APP

जल्‍द होगा क्‍वॉड का विस्तार, समान विचारधारा वाले इन देशों को संगठन में शामिल किए जाने का संकेत

पहली वर्चुअल क्‍वॉड बैठक के बाद विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा था कि यूरोप को संगठन के संभावित साझीदार के तौर पर देखा जाता है। हालांकि नेताओं के बीच क्‍वॉड विस्तार को लेकर कोई बात नहीं हुई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 07:36 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 07:00 AM (IST)
जल्‍द होगा क्‍वॉड का विस्तार, समान विचारधारा वाले इन देशों को संगठन में शामिल किए जाने का संकेत
शुक्रवार को क्‍वॉड देशों के प्रमुखों की ऐतिहासिक बैठक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछले शुक्रवार को क्‍वॉड देशों के प्रमुखों की ऐतिहासिक बैठक में आधिकारिक तौर पर इस संगठन के विस्तार को लेकर भले ही चर्चा नहीं हुई हो, लेकिन चारों देशों की तरफ से जो बयान आए हैं, वे कुछ दूसरी ही कहानी कह रहे हैं। संकेत यह है कि क्‍वॉड का विस्तार होगा और इसमें समान विचारधारा वाले देशों को शामिल किया जाएगा। पहली वर्चुअल बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन और जापान के पीएम योशिहिदे सुगा की तरफ से अमेरिका के एक बेहद प्रतिष्ठित समाचार पत्र में लिखे गए आलेख में इस बात के संकेत हैं कि समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग करने को लेकर क्‍वॉड खुला विचार रखता है।

loksabha election banner

श्रृंगला ने कहा, यूरोप को संभावित साझीदार के तौर पर देखा जा रहा

क्‍वॉड बैठक के बाद विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा था कि यूरोप को संगठन के संभावित साझीदार के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, नेताओं के बीच क्‍वॉड विस्तार को लेकर कोई बात नहीं हुई है। इसी तरह का सवाल अमेरिकी राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुविलियन से पूछा गया तो उनका जवाब था कि क्वाड के चार लोकतांत्रिक देश अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और सुरक्षा को लेकर आपस में और दूसरे देशों के साथ एक साथ काम करने की संभावनाएं देख रहे हैं।

हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस बारे में बहुत कुछ आने वाले समय में तय होगा और इसमें चारों देशों के नेताओं की तरफ से ही नहीं बल्कि गठित कार्य दल के स्तर पर भी काफी काम करना होगा।उधर, चारों नेताओं की तरफ से लिखे गए आलेख में इस बात का संकेत है कि क्वाड का दायरा भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के हितों तक ही सीमित नहीं है। आपसी सहयोग से कोरोना का टीका बनाने और इसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों के सभी नागरिकों को वर्ष 2022 के अंत तक दिलाने का फैसला इसी सोच को दिखाता है।

क्‍वॉड देशों का यह पहला अभियान होगा और इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शामिल सभी 24 देशों को शामिल किया जाएगा। शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में भी समूचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला और सभी देशों के लिए समान अवसर वाला बनाने की बात है। जाहिर है कि क्‍वॉड देशों को बड़ी संख्या में दूसरे देशों के साथ करीबी और गहरे संबंध विकसित करने होंगे।

दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड को पहले किया जा सकता है शामिल

ताइवान पहले ही कह चुका है कि वह क्वाड के साथ सुरक्षा मुद्दों पर काम करना चाहेगा। जानकारों की मानें तो क्वाड के विस्तार में जिन देशों को पहले शामिल किया जा सकता है वह दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड हैं। ये दोनों देश मौजूदा सदस्यों की तरह ही लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले हैं और उक्त चारों देशों के साथ कई मोर्चों पर करीबी रिश्ता रखते हैं।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े हुए हैं यूरोपीय देशों के हित

यूरोपीय देशों के भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा व कारोबार के लिहाज से काफी हित जुड़े हुए हैं। फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों ने अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति का एलान भी कर दिया है, जबकि ब्रिटेन की तरफ से जल्द ही इसकी घोषणा होने वाली है। अभी तक इन देशों ने जिस रणनीति को अपनाने की बात कही है, वह तकरीबन पूरी तरह से उसी आधार पर है, जिसकी वकालत क्वाड के चारों सदस्य देश करते रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.