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कांग्रेस ने पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के सहारे चला बड़ा दांव, जानें इस फैसले के पीछे क्‍या हैं सियासी मायने

कांग्रेस ने पंजाब में कैप्टन-सिद्धू के घमासान से डैमेज हुई सियासी जमीन को थामने के लिए अनुसूचित जाति के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का सियासी दांव चल सूबे में अपनी विरोधी पार्टियों अकाली दल और आम आदमी पार्टी को हैरान कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 09:11 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 01:11 AM (IST)
कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर विपक्षी दलों को हैरान कर दिया है।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस ने पंजाब में कैप्टन-सिद्धू के घमासान से डैमेज हुई सियासी जमीन को थामने के लिए अनुसूचित जाति (एससी) के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का सियासी दांव चल सूबे में अपनी विरोधी पार्टियों अकाली दल और आम आदमी पार्टी को हैरान कर दिया है। पंजाब में बदलाव का यह फैसला चाहे सियासी मजबूरी के तौर पर हुआ हो मगर चन्नी को सीएम बनाकर कांग्रेस ने यह संकेत देने की भी कोशिश की है कि वह अगले साल पांच राज्यों के चुनाव में ही नहीं बल्कि एक समय अपने परंपरागत वोट बैंक को पाले में लाने की कोशिश करेगी।

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यूपी में बसपा की जमीन में सेंध लगाने की कोशिश

इस फैसले के सहारे कांग्रेस पंजाब में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में भी बसपा की सियासी जमीन में सेंध लगाने की सबसे ज्यादा कोशिश करेगी। कांग्रेस के इस सियासी दांव खेलने की तैयारी की सबसे बड़ी वजह यह है कि चरणजीत सिंह चन्नी पूरे देश में इस समय एससी समुदाय के इकलौते मुख्यमंत्री होंगे। झारखंड और पूर्वोत्तर के साथ आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में आदिवासी और ईसाई समुदाय के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन 28 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में कहीं भी एससी मुख्यमंत्री नहीं था।

विपक्षी दलों को भी चौंकाया 

बिहार में जीतन राम माझी के 2015 में सीएम पद से हटने के बाद बीते छह साल में किसी भी राज्य में एससी मुख्यमंत्री नहीं था। इसीलिए पंजाब के सियासी झगड़े के बीच कांग्रेस ने अपनी राजनीति को नए सामाजिक समीकरण का स्वरूप देने का यह फार्मूला निकाला है। पंजाब में एससी समुदाय बड़ा वोट बैंक है और अकाली दल, आम आदमी पार्टी तथा भाजपा सभी इस वर्ग को साधने के लिए चुनावी वादे कर रहे थे।

एक तीर से साधे कई निशाने 

इस वर्ग को साधने के लिए ही अकाली दल ने बसपा से चुनावी गठबंधन भी किया है और जाहिर है कि कांग्रेस का यह फैसला पंजाब में बसपा को भी नुकसान पहुंचाएगा। उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस अपने सियासी आधार को वापस हासिल करने के लिए भाजपा के अलावा सबसे बड़ा सियासी निशाना बसपा पर ही साध रही है। बसपा को सवालों के कठघरे में खड़ा करना प्रियंका गांधी वाड्रा की सियासी रणनीति का हिस्सा है...

आसान नहीं था फैसला 

स्वाभाविक रूप से पंजाब में किया गया कांग्रेस का यह प्रयोग उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए अनुसूचित जाति के बीच फिर से पैठ बनाने का मौका दे सकता है। वैसे पंजाब में भाजपा ने चुनाव जीतने की स्थिति में एससी सीएम तो अकाली दल और आप डिप्टी सीएम बनाने का वादा कर रही हैं। ऐसे में चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर कांग्रेस ने इन तीनों दलों को हैरान कर दिया है, क्योंकि सूबे की मौजूदा सियासत में जट सिख समुदाय से इतर वर्ग को सत्ता की कमान सौंपने का फैसला आसान नहीं है।

...और चरणजीत सिंह चन्नी की लाटरी निकल गई 

कांग्रेस हाईकमान ने वैसे पंजाब में पहले हिंदू कार्ड खेलने की कोशिश की और राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी को मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया लेकिन सोनी ने पंजाब में जट सिख को ही सीएम बनाने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री बनने से इन्कार कर दिया। सुनील जाखड़ भी इस रेस में शामिल थे। मगर सिद्धू ने अपने सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए जाखड़ के साथ ही सुखजिंदर सिंह रंधावा की राह में पेंच फंसा दिया और इसमें चरणजीत सिंह चन्नी की लाटरी निकल गई। 

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