पूनिया राजस्थान भाजपा के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए, तीन वर्ष का होगा कार्यकाल
निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने के बाद पूनिया ने कहा कि मेरा मिशन है कि 2023 के बाद राजस्थान हमेशा के लिए कांग्रेस मुक्त करना है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष सतीश पूनिया निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक नित्यानंद राय और वैजयंत राय पंडा ने इसकी घोषणा की। पूनिया का कार्यकाल तीन वर्ष का रहेगा। चयन के बाद पूनिया ने कहा, 'मैं न किसी दौड़ में हूं और न किसी होड़ मैं हूं। मेरा मिशन है कि 2023 के बाद राजस्थान हमेशा के लिए कांग्रेस मुक्त करना है। पूनिया को 14 सितंबर को राजस्थान का अध्यक्ष मनोनीत किया गया था।
राजस्थान में जनवरी में होंगे पंचायत चुनाव
राजस्थान में जनवरी में पंचायतों के चुनाव कराए जाएंगे। राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग ने राजस्थान की 9171 ग्राम पंचायतों के चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया। चुनाव तीन चरणाों में होंगे। चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। पहले चरण के चुनाव के लिए आगामी 17 जनवरी, दूसरे चरण के लिए 22 जनवरी और तीसरे चरण का चुनाव 29 जनवरी को मतदान होगा।
पंचायत समितियों और जिला परिषदों के चुनाव एक साथ नहीं
पंचायतों के पुनगर्ठन को लेकर कोर्ट में दायर याचिकाओं के कारण इस बार पंचायत समितियों और जिला परिषदों के चुनाव साथ में नहीं कराए जा रहे है। ये चुनाव बाद में होंगे। जिन पंचायत समितियों और जिला परिषद के सदस्यों का चुनाव कार्यकाल समाप्त हो रहा है वहां सरकार प्रशासक लगाएगी।
पंचायतों का पुनर्गठन
राजस्थान में इस बार सरकार ने पंचायतों के पुनर्गठन का फैसला किया था। इसके चलते राजस्थान में 11 हजार 142 ग्राम पंचायतें हो गई है, जबकि पिछली बार 9872 पंचायतों के लिए चुनाव हुआ था। पंचायतों के पुनर्गठन को लेकर इस बार कुछ देरी तो राज्य सरकार की ओर से की गई और बाद में इस पुनर्गठन को कोर्ट में चुनौतियां भी मिली। करीब 85 याचिकाएं कोर्ट में दायर हुई।
पहली बार सरपंचों का चुनाव ईवीएम से होगा
राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त प्रेमसिंह मेहरा ने बताया कि इन पंचायतों के 90400 वार्डों में जनवरी में तीन चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। पहली बार सरपंचों का चुनाव ईवीएम से होगा और सरपंच चुनाव के प्रचार के लिए प्रत्याशियों को करीब एक सप्ताह का समय मिलेग, जबकि पिछली बार तक यह समय नहीं मिल पाता था। इस बार नामांकन के बाद सरपंच पद के प्रत्याशियों की सूची छपवाई जाएगी और फिर चुनाव होगा। सरपंच पद के लिए चुनाव खर्च सीमा भी बढाई गई है। पिछली बार यह 20 हजार थी जबकि इस बार इसे बढा कर 50 हजार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिला परिषद सदस्यों और पंचायत समितियों शेष बची अन्य ग्राम पंचायतों के चुनावों के तारीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा
ग्रामीण क्षेत्रों में आचार संहिता लागू
चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। अब सरकार लोक लुभावन घोषणाएं नहीं कर सकेगी। तबादलों पर प्रतिबंध रहेगा. मंत्रियों के राजकीय दौरे पर सरकारी मशीनरी का उपयोग करने पर रोक रहेगी। मतदान के दिन और उसके पूर्व के 48 घंटों के दौरान शराब वितरित नहीं की जा सकेगी। वहीं सरकार वित्तीय मंजूरी नहीं दे सकती और नई स्कीम की आधारशिला रखने पर भी रोक रहेगी।
शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता हटाई
पिछली बार भाजपा सरकार ने पंचायत चुनाव लड़ने वालों के लिए न्यूनतम शैक्षिणक योग्यता निर्धारित कर दी थी। उस समय कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया था। इस बार चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह अनिवार्यता हटाने का वादा भी किया था और सरकार में आते ही इसे हटा भी दिया गया। ऐसे में इस बार शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है और कोई भी चुनाव लड़ सकेगा। वहीं दो से अधिक संतान वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।