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आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की फंडिंग से बने मस्जिद और मदरसों की संपत्ति होगी जब्त

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद आतंकी फंडिंग से आए धन को मस्जिद और मदरसों में लगाने का खुलासा हुआ।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 09:08 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 07:37 AM (IST)
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की फंडिंग से बने मस्जिद और मदरसों की संपत्ति होगी जब्त

नीलू रंजन, नई दिल्ली। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की मस्जिदों और मदरसों की फंडिंग के खुलासे के बाद सभी जांच एजेंसियां सतर्क हो गई है। फिलहाल इस मामले की एनआइए जांच कर रही है, लेकिन जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच शुरू कर सकता है। ईडी की जांच शुरू होने के बाद आतंकी फंडिंग से बने मदरसों और मस्जिदों की संपत्ति को जब्त किया जा सकता है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत ईडी को काली कमाई से बनाई गई किसी भी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है।

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दरअसल पिछले महीने एनआइए ने देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी फंडिंग के माड्यूल का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के दौरान पता चला था कि आतंकी फंडिंग का यह जाल सिर्फ कश्मीर में आतंकियों को धन मुहैया कराने तक सीमित नहीं है। बल्कि लश्कर-ए-तैयबा मस्जिदों और मदरसों के माध्यम से देश के भीतर कट्टरता फैलाने की भी साजिश कर रहा है।

आतंकी फंडिंग के लिए गिरफ्तार मोहम्मद सलमान हरियाणा के पलवल जिले के एक गांव के मस्जिद का इमाम भी है। पूछताछ में खुले सलमान ने स्वीकार किया कि आतंकी फंडिंग के पैसे का इस्तेमाल उसने मस्जिद और मदरसा बनाने में किया था। इसके बाद एनआइए ने मस्जिद की तलाशी भी ली थी और कई दस्तावेज भी बरामद किया था।

आतंकी फंडिंग से मस्जिदों और मदरसों के निर्माण और उसके माध्यम से कट्टरता फैलाने की लश्कर-ए-तैयबा की बड़ी साजिश के खुलासे के बाद दूसरी एजेंसियों को भी जांच में शामिल किया जा रहा है। एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही केस से जुड़े दस्तावेज ईडी को उपलब्ध करा दिये जाएंगे। इसके बाद ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत नया केस दर्ज करेगा। ईडी का काम मुख्य रूप से आतंकी फंडिंग से बनाई गई संपत्तियों का पता लगाकर उसे जब्त करने का होगा।

एनआइए के अनुसार लश्कर-ए-तैयबा सरगना और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद फलाह-ए-इंसानियत के माध्यम से आतंकी फंडिंग कर रहा था। फलाह-ए-इंसानियत भी लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है और संयुक्त राष्ट्र ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।

जांच एजेंसियों की नजर से बचने के लिए आतंकी फंडिंग के लिए दुबई में रहने वाले फलाह-ए-इंसानियत से जुड़े एक पाकिस्तानी का इस्तेमाल किया जाता था। यह पाकिस्तान एक ओर निजामुद्दीन में रहने वाला मोहम्मद सलमान को हवाला व अन्य माध्यम से लाखों रुपये भेजता और साथ ही वह पाकिस्तान स्थित फलाह-ए-इंसानियत के डिप्टी चीफ के साथ लगातार संपर्क में था।

एनआइए ने मोहम्मद सलमान के साथ-साथ सलाह-ए-इंसानियत की ओर पैसे मंगाने वाले हवाला आपरेटर दरियागंज के मोहम्मद सलीम उर्फ मामा और श्रीनगर के अब्दुल राशिद को भी गिरफ्तार किया है।

मोहम्मद सलमान, मोहम्मद सलीम और अब्दुल राशिद को गिरफ्तार करने के बाद एनआइए ने कूचा घासीराम में हवाला आपरेटर राजाराम एंड कंपनी के ठिकानों पर मंगलवार को छापा भी मारा था। छापे में एक करोड़ 56 रुपये नकद, 43 हजार रुपये की नेपाली मुद्रा, 14 मोबाइल फोन और पांच पेन ड्राइव बरामद हुए थे।

एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बरामद मोबाइल फोन, पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क की जांच और गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद आतंकी फंडिंग से आए धन को मस्जिद और मदरसों में लगाने का खुलासा हुआ।


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