प्रियंका के चुनाव लड़ने पर अटकलें तेज, वाराणसी व गोरखपुर पर जमीं निगाहें
priyanka gandhi: अब ऐसी अटकलें भी चल रही हैं कि पार्टी प्रियंका को मोदी के खिलाफ वाराणसी से मैदान में उतार सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर इस दिशा में संकेत भी दिए हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रियंका गांधी के राजनीति के मैदान में उतरने के साथ ही उनके 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। कांग्रेस के गलियारे में चर्चा गर्म है कि सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ती हैं, तो रायबरेली से प्रियंका को उतारा जा सकता है।
वहीं अब ऐसी अटकलें भी चल रही हैं कि पार्टी प्रियंका को मोदी के खिलाफ वाराणसी से मैदान में उतार सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर इस दिशा में संकेत भी दिए हैं। 2014 में मोदी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने इसके लिए राहुल गांधी को प्रस्ताव भेजने की बात कही है।
कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, 'मोदीजी और अमित शाह ने कहा था, कांग्रेस मुक्त भारत! अब प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश (पूर्वी) में आने के बाद हम देखेंगे....... मुक्त वाराणसी? ....... मुक्त गोरखपुर?' राजनीतिक गलियारों में इन दिनों ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रियंका को पूर्वी यूपी की किसी सीट से उतारा जा सकता है। ऐसी भी चर्चा है कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मुकाबले में उन्हें वाराणसी से पार्टी अपना चेहरा बना सकती है।
हालांकि, इतना तय है कि प्रियंका लोकसभा चुनाव में तभी उतरेंगी जब सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ने का फैसला करेंगी। अमेठी में जब राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या प्रियंका चुनाव भी लड़ेंगी तो उन्होंने कहा कि यह उन पर निर्भर करता है।
प्रियंका के प्रभार में होंगी लोस की 43 सीटें!
पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही लखनऊ मंडल की सीटों को भी प्रियंका के प्रभार क्षेत्र में शामिल किया जा सकता है। उनके हिस्से में करीब 43 सीटें रहेंगी। प्रियंका के खीरी, धौरहरा, हरदोई, सीतापुर, मिश्रिख, मोहनलालगंज, लखनऊ, उन्नाव, कौशांबी, इलाहाबाद, फूलपुर, रायबरेली, अमेठी, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, अकबरपुर, फैजाबाद, बाराबंकी, कैसरगंज, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बस्ती, डुमरियागंज, बांसगांव, संतकबीरनगर, महराजगंज, सलेमपुर, देवरिया, कुशीनगर, बलिया, घोसी, आजमगढ़, लालगंज, मछलीशहर, जौनपुर, अंबेडकरनगर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, राबर्ट्सगंज, भदोही और मीरजापुर लोकसभा क्षेत्रों का प्रभार संभालने की उम्मीद जताई जा रही है।
सालों से उठ रही थी सक्रिय राजनीति में आने की मांग
अमेठी में प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग पिछले एक दशक से उठ रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जगदीश पीयूष कहते हैं कि प्रियंका के महासचिव बनने से सूबे में कांग्रेस की लहर आएगी। प्रियंका में लोग इंदिरा की छवि देखते हैं। कांग्रेस जिला अध्यक्ष योगेंद्र मिश्र कहते हैं, अब अमेठी-रायबरेली की तरह पूरे देश में कांग्रेस की लहर चलेगी।
युवा मतदाताओं पर नजर
प्रियंका को राजनीति में उतारकर कांग्रेस ने परंपरागत ब्राह्मण और अन्य अगड़ी जातियों को जोड़ने के साथ युवा वोटरों को भी साधने की रणनीति का संकेत दिया है। इसके अलावा सिंधिया को महासचिव के रूप में ही उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी से साफ है कि मध्य प्रदेश चुनाव अभियान में अहम रोल के लिए उन्हें यह प्रमोशन मिला है। मध्य प्रदेश के चुनाव में सिंधिया कांग्रेस के सबसे ज्यादा भीड़ जुटाऊ नेता के रूप में उभरे। खासकर युवा तबके में उनकी लोकप्रियता ज्यादा दिखी।
पूर्वांचल इसलिए अहम
प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तरप्रदेश की कमान सौंपना केवल इस लिहाज से अहम नहीं कि पीएम मोदी का चुनाव क्षेत्र वाराणसी और योगी आदित्यनाथ की सियासी कर्मभूमि गोरखपुर इसमें आते हैं। पूर्वाचल इसलिए भी अहम है कि ब्राह्मण मतदाताओं की निर्णायक भूमिका वाले इस इलाके की आजमगढ को छोड़कर लगभग सभी सीटें 2014 में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने जीती थी। ऐसे में प्रियंका के लिए भी भाजपा की जमीनी पकड़ और सपा-बसपा के सामाजिक समीकरणों की ताकत में सेंध लगाते हुए उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की वापसी कराना आसान चुनौती नहीं है।