Move to Jagran APP

किसानों के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मैदान में उतरी कांग्रेस, राष्ट्रव्यापी आंदोलन का किया एलान

संसद के मानसून (Parliament Session 2020) सत्र के बीच दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर पार्टी महासचिवों और प्रभारियों की बैठक हुई। पार्टी कृषि विधेयकों के खिलाफ व सरकार के विरोध में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने वाली है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 05:30 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 09:16 PM (IST)
किसानों के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मैदान में उतरी कांग्रेस, राष्ट्रव्यापी आंदोलन का किया एलान
कृषि विधेयक के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन

संजय मिश्र, नई दिल्ली। बेरोजगारी के मुद्दे को पहले से ही उछाल रही कांग्रेस कृषि सुधार के नए कानूनों के खिलाफ जंग लड़ने का एलान कर अब किसानों को साधने का दांव चलेगी। राज्यसभा में कृषि विधेयकों को पारित कराने पर हुए संग्राम से बढ़े टकराव के बाद कांग्रेस ने 24 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच राष्ट्रव्यापी आंदोलन और विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। इस क्रम में पार्टी गांव-गांव जाकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर भी जुटाएगी।

loksabha election banner

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की गैर मौजूदगी में वरिष्ठ नेता एके एंटनी, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल की अगुआई में कांग्रेस के सभी महासचिवों और राज्यों के प्रभारियों की आनन-फानन में बुलाई गई बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की गई। किसानों के विरोध का उफान राज्यों में बढ़ने का आकलन करते हुए पार्टी ने इस मुद्दे की लौ धीमी नहीं पड़ने देने की रणनीति बनाई है। पार्टी के शीर्ष रणनीतिकारों ने इलाज के लिए विदेश गई सोनिया और राहुल गांधी से फोन पर मंत्रणा की। इन दोनों की सहमति के बाद पार्टी महासचिवों और प्रभारियों की शाम में बैठक हुई, जिसमें आंदोलन का कार्यक्रम तय कर इसकी घोषणा की गई। किसानों के मुद्दे को देशभर में गरमाने की पार्टी की तत्परता इस बात से भी जाहिर होती है कि कोरोना काल में करीब सात महीने बाद कांग्रेस पदाधिकारियों की पहली बार आमने-सामने की बैठक हुई।

किसान व जन विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन

महासचिवों-प्रभारियों की बैठक के बाद एके एंटनी, अहमद पटेल, वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कांग्रेस भाजपा सरकार की किसान व जन विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने जा रही है। इसके तहत पहले चरण में 24 से 28 सितंबर तक कांगे्रस के बड़े नेताओं के प्रेस कांफ्रेंस के जरिये संसद में लोकतंत्र की हत्या करने से लेकर किसानों की आवाज दबाने के सरकार के प्रयासों का पर्दाफाश किया जाएगा। दो अक्टूबर को गांधी जयंती और शास्त्री जयंती के मौके पर सभी राज्यों में पार्टी के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री व विधायक दल नेता, सांसद और विधायक से लेकर तमाम नेता राजभवन तक मार्च कर राज्यपालों को कृषि कानूनों के खिलाफ ज्ञापन देंगे। इस दिन किसान-मजदूर बचाओ दिवस मनाते हुए पार्टी हर जिले व ब्लॉक स्तर पर भी धरना-प्रदर्शन करेगी। 10 अक्टूबर को सभी राज्यों की राजधानी में किसानों का सम्मेलन किया जाएगा। इसके बाद 31 अक्टूबर तक गांव-गांव जाकर कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दो करोड़ किसानों व मजदूरों के हस्ताक्षर जुटाए जाएंगे। सुरजेवाला ने कहा कि 14 नवंबर को सोनिया गांधी किसानों के हस्ताक्षरों को राष्ट्रपति को सौंप काले कानून वापस लेने की जनता की मांग से रूबरू कराएंगी।

पंजाब और हरियाणा के बाद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन की दूसरे राज्यों में बढ़ रही सुगबुगाहट के मद्देनजर कांग्रेस को अपना सियासी आधार वापस हासिल करने के लिए यह एक बड़ा मौका नजर आ रहा है। इसीलिए कांग्रेस ने सड़क पर उतरने का फैसला लिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.