गन्ना किसानों का मुद्दाः प्रियंका गांधी बोलीं- चौकीदार सिर्फ अमीरों की ड्यूटी करते हैं, तो सीएम योगी ने दिया ये जवाब
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर भाजपा सरकार पर अमीरों की चौकीदारी का आरोप लगाया।
नई दिल्ली, जागरण। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये चौकीदार सिर्फ अमीरों की ड्यूटी करते हैं, गरीबों की इन्हें कोई परवाह नहीं। प्रियंका ने ये बातें अपने ट्वीट में कहीं। वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य़नाथ ने भी प्रियंका गांधी पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि किसानों के ये तथाकथित हितैषी तब कहां थे, जब 2012-2017 तक किसान भुखमरी की कगार पर थे।
प्रियंका ने कहा कि गन्ना किसानों के परिवार दिनरात मेहनत करते हैं। मगर उत्तर प्रदेश सरकार उनके भुगतान का भी जिम्मा नहीं लेती। किसानों का 10000 करोड़ बकाया मतलब उनके बच्चों की शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य और अगली फसल सबकुछ ठप्प हो जाता है।
प्रियंका के जवाब में योगी आदित्यनाथ ने दो ट्वीट किए। योगी ने लिखा, 'हमारी सरकार जब से सत्ता में आई है हमने लंबित 57,800 करोड़ का गन्ना बकाया भुगतान किया है। ये रकम कई राज्यों के बजट से भी ज्यादा है। पिछली सपा-बसपा सरकारों ने गन्ना किसानों के लिए कुछ नहीं किया जिससे किसान भुखमरी का शिकार हो रहा था।'
योगी ने आगे लिखा, 'किसानों के ये 'तथाकथित' हितैषी तब कहाँ थे जब 2012 से 2017 तक किसान भुखमरी की कगार पर था। इनकी नींद अब क्यों खुली है? प्रदेश का गन्ना क्षेत्रफल अब 22 प्रतिशत बढ़कर 28 लाख हेक्टेयर हुआ है और बंद पड़ी कई चीनी मिलों को भी प्रदेश में दोबारा शुरू किया गया है। किसान अब खुशहाल हैं।'
गन्ना किसानों का बकाया है बड़ा मुद्दा
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक 22 मार्च तक प्रदेश के चीनी मिलों ने सरकार द्वारा तय किए गए मूल्य के हिसाब से ही गन्ना खरीदा था। लखनऊ में गन्ना आयुक्त कार्यालय द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 22 मार्च को, राज्य की चीनी मिलों ने वर्तमान सरकार के निर्धारित चालू 2018-19 पेराई सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 24,888.65 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है। राज्य सरकार ने सामान्य गन्ने की कीमत 315 रुपये प्रति क्विंटल और जल्दी तैयार होने वाले की कीमत 325 रुपये प्रति क्विंटल तय की।
किसानों को 14 दिनों के भीतर खरीदे गए गन्ने का 22,175.21 करोड़ रुपये भुगतान होना था ,लेकिन भुगतान सिर्फ 12,339.04 करोड़ रुपये का ही किया गया। सरकार पर किसानों का 9,836.17 करोड़ बकाया है। साथ ही 2017-18 सीज़न में 238.81 करोड़ रुपये की बकाया राशि को जोड़ने पर कुल बकाया राशि 10,074.98 करोड़ रुपये हैं।
इस बकाया राशि में से 45 प्रतिशत लगभग 4,547.97 करोड़ रुपये बागपत,मेरठ, कैरानी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बिजनौर से है। बता दें कि बीजेपी ने 2017 में हुआ विधानसभा चुनाव के अपने घोषणा पत्र में कहा था कि उनकी सरकार किसानों को बिक्री के 14 दिनों के भीतर गन्ने का पूरा भुगतान करेगी।
14 दिन के अंदर करना होता है भुगतान
गौरतलब है कि गन्ना किसान से संबंधित कानून में भी 14 दिन के अंदर भुगतान करने का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश में पहले से ही गन्ने की खेती होती आई है, लेकिन समय पर भुगतान नहीं होने की वजह से बोवाई का क्षेत्र लगातार सिकुड़ता जा रहा है। इसके बाद भी करीब 28 लाख एकड़ में गन्ने की खेती होती है। प्रदेश के किसान लगातार ये मांग करते रहे है कि गन्ने का मूल्य बढ़ाया जाए। हालांकि समय-समय पर गन्ने के मूल्यों में बढ़ोतरी भी की गई, लेकिन वो पर्याप्त साबित नहीं हुई।
गन्ना किसानों के लिए हमेशा से समस्यां रही है क्योंकि कभी गन्ने की फसल का पर्याप्त मूल्य ना मिलना और जो मिलता भी है उसका समय पर भुगतान नहीं किया जाता। माना जा रहा है कि चुनाव नजदीक होने के कारण गन्ना किसानों की नाराजगी भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है।