Upper Caste Reservation: निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए अभी करना पड़ेगा और इंतजार
Upper Caste Reservation सरकारी संस्थानों की तर्ज पर निजी क्षेत्र के गैर-सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को लेकर सरकार ने बजट सत्र में आरक्षण बिल को पेश करने का इरादा बदल दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी संस्थानों की तर्ज पर निजी क्षेत्र के गैर-सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को लेकर अभी और इंतजार करना पड़ेगा। संसद में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को देखते हुए सरकार ने बजट सत्र में इससे संबंधित बिल को पेश करने का इरादा बदल दिया है। अब वह इसे संसद के अगले सत्र में लाएगी। फिलहाल यह बिल अभी कानून मंत्रालय के पास परामर्श के लिए लंबित है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों को दस फीसद आरक्षण का लाभ देने के बाद सरकार ने बजट सत्र में ही इस बिल को लाने का फैसला लिया था।
खास बात यह है कि इस बिल के पारित होने से निजी क्षेत्र के गैर-सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में भी एससी, एसटी, ओबीसी के साथ ईडब्लूएस को भी तय कोटे के तहत आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा। अभी यह कुछ ही निजी संस्थानों में लागू है। हालांकि संविधान में सरकारी संस्थानों के साथ निजी क्षेत्र के संस्थानों में भी इसे लागू करने का प्रावधान है, लेकिन यह अभी सिर्फ सरकारी संस्थानों के लिए ही अनिवार्य है।
सरकार इस बिल के जरिए निजी क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण को अनिवार्य बनाने की तैयारी में है। पिछले दिनों केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इसकी घोषणा की थी। साथ ही बिल को बजट सत्र में ही लाने की बात कही थी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बिल को लेकर उनकी तैयारी लगभग पूरी है। फिलहाल उसे कानून मंत्रालय के पास परामर्श के लिए भेजा गया है, इसके बाद उसे दूसरे मंत्रालयों में भी परामर्श के लिए भेजा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया के बाद इसे कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। जहां से मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश होगा। लेकिन इससे पहले संसद के बजट सत्र में देखे जा रहे गतिरोध को देखते हुए इस बिल का पारित होना मुश्किल है। ऐसे में सरकार ने इसे अगले सत्र में लाने का फैसला लिया है। वैसे भी अभी सरकार के कई अहम बिल संसद के दोनों सदनों में अटके है।
सूत्रों की मानें तो ऐसे में सरकार की कोशिश है कि वह संसद में अपने पहले से लंबित बिलों को इस सत्र में निपटा ले। यही वजह है कि इस सत्र में नया कोई काम नहीं लाने को लेकर सहमति बनी है। फिलहाल मंत्रालय का फोकस ईडब्लूएस कोटे को लागू कराने को लेकर है।