प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के लिए मांगे सुझाव, प्रेरक अनुभव साझा करने की अपील, जानें क्या कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के लिए लोगों से विचार और सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसके साथ ही 28 मार्च को प्रसारित होने जा रहे इस साल के तीसरे सत्र के लिए उन्होंने लोगों से प्रेरक अनुभव साझा करने को कहा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के लिए लोगों से विचार और सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसके साथ ही 28 मार्च को प्रसारित होने जा रहे इस साल के तीसरे सत्र के लिए उन्होंने लोगों से प्रेरक अनुभव साझा करने को कहा है। एक ट्वीट में मोदी ने कहा है कि 28 मार्च को इस साल के तीसरे मन की बात का प्रसारण होगा। रोचक बातों एवं पूरे देश से जीवन के प्रेरक प्रसंगों को सामने लाने का एक और अवसर। आप अपने विचारों को माईगव या नमो एप पर साझा करें या अपना संदेश रिकार्ड करें।
मन की बात में प्रधानमंत्री हर महीने आकाशवाणी से राष्ट्र को संबोधित करते हैं। यह कार्यक्रम हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होता है। प्रधानमंत्री ने 28 फरवरी को वार्षिक परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों से योद्धा बनने को कहा था न कि चिंता करने वाला। उन्होंने छात्रों से नए मंत्र एवं रोचक गतिविधि से अपडेट होने के लिए कहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से उत्साह के साथ परीक्षा में भाग लेने और खुशी के साथ लौटने को कहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 28 फरवरी को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदमों के बारे में बात करते हुए में दैनिक जागरण में प्रकाशित कई खबरों और उनके नायकों का उल्लेख किया। रविवार को मन की बात पीएम ने जल संरक्षण की दिशा में बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों की जमकर तारीफ की है। इनमें उत्तराखंड में प्राकृतिक स्त्रोतों के संरक्षण का कार्य कर रहे जगदीश कुनियाल, मध्य प्रदेश की बबीता राजपूत शामिल हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश के प्रगतिशील किसान हरिश्चंद्र सिंह को भी सराहा है।
साथ ही प्रधानमंत्री ने काशी में पिछले दिनों हुए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में आयोजित संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का भी जिक्र किया। 'दैनिक जागरण' ने 19 फरवरी के अंक में संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
प्रधानमंत्री ने मन की बात में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा ब्लाक की ग्राम पंचायत भेलदा के छोटे से गांव अंगरोठा की बबीता राजपूत का जिक्र किया। बबीता सहित करीब चार सौ महिलाओं (जल सहेलियों) ने पहाड़ को काटकर ऐसा रास्ता तैयार किया है, जिससे उनके गांव का तालाब पानी से भर जाता है। इससे लोगों को जलसंकट से मुक्ति मिली है। 24 सितंबर, 2020 को यह खबर प्रकाशित हुई थी।