बंगाल कांग्रेस में ऊहापोह की स्थिति, एक महीने बाद भी अध्यक्ष का नहीं हुआ चुनाव
निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्रा के निधन को 1 महीना बीतने को है लेकिन अभी तक नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है
कोलकाता, जागरण संवाददाता। केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस में हुए उठापटक के कारण बंगाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का मामला भी फंस गया है। निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्रा के निधन को एक महीना बीतने को है लेकिन अभी तक नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी गौरव गोगोई नए अध्यक्ष के चुनाव बारे में केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट भी सौंप चुके हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में जब पार्टी के केंद्रीय स्तर पर ही घमासान मचा है तो ऐसे में यहां का पेंच भी फंसा हुआ है। इस पर बात अभी तक आगे नहीं बढ़ी है।
ऐसे में बिना अध्यक्ष के बंगाल कांग्रेस में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। इस दौर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में जो दावेदार माने जा रहे हैं उसमें लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी, प्रदीप भट्टाचार्य, अब्दुल मन्नान, नेपाल भट्टाचार्य व पूर्व केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी प्रमुख नाम हैं। हालांकि कांग्रेस आलाकमान इनमें से किसको प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपती है यह देखने की बात है। वहीं, दूसरी ओर बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के नीट व जेईई परीक्षा को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने एवं इस मुद्दे पर अपना समर्थन देने के बाद यहां कांग्रेस का जो राज्य नेतृत्व है वह दुविधा में पड़ गया है। क्योंकि कांग्रेस बंगाल में वाममोर्चा के साथ गठजोड़ करके सत्तारूढ़ तृणमूल और भाजपा के साथ जो लड़ाई लड़ना चाहती है वह कैसे होगा।
दूसरी तरफ, प्रदेश अध्यक्ष नहीं होने की वजह से वाममोर्चा व कांग्रेस के बीच यहां संयुक्त आंदोलन की रूपरेखा व कार्यसूची जो तैयार की गई थी उसपर भी अमल नहीं हो पा रहा है। बताते चलें कि राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव एवं पिछला लोकसभा चुनाव वाममोर्चा व कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था। राज्य में अगले साल जो विधानसभा चुनाव होने हैं उसमें भी दोनों दल मिलकर लड़ने की रणनीति बना रहे थे लेकिन इस बीच पिछले महीने 30 जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्रा का निधन हो गया। इसके बाद इस पर भी बात आगे नहीं बढ़ सकी है। इधर, प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में पहले से गुटबाजी भी जगजाहिर है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए हर कोई लॉबी बाजी में भी जुटा हुआ है।हालांकि जब तक आलाकमान की ओर से नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर नहीं लग जाती तब तक यहां उहापोह की स्थिति बनी रहेगी।