कृषि मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी, देशभर के किसानों का दिल्ली में जमावड़ा आज से शुरु
देशभर के किसानों का हुजूम सरकार को तैयार विधेयक सौंपेगी, ताकि संसद उसे पारित कर कानून बना सके।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी साल में किसानों के मुद्दे पर किसान संगठनों को आगे कर संयुक्त विपक्ष की सरकार को घेरने की तैयारी है। देशभर से छोटे बड़े किसान संगठनों के नेतृत्व में किसानों का जमावड़ा बुधवार से शुरु हो जाएगा। घाटे से हलकान कृषि क्षेत्र की समस्याओं को लेकर 29 और 30 नवंबर को 'किसानों के दिल्ली कूच' का ब्यौरा देने आये किसान नेताओं ने केंद्र पर हमला बोला। विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं ने केंद्र की राजग सरकार समेत कांग्रेस को भी जमकर कोसा।
संयुक्त विपक्ष व किसान संगठनों का दिल्ली में जमावड़ा शुरु
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष वीएम सिंह ने बताया कि दो सौ से अधिक किसान संगठनों का दिल्ली कूच शुरु हो चुका है। दिल्ली कूच को लेकर मंगलवार को यहां आयोजित प्रेसवार्ता में सिंह पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर कई किसान संगठनों के नेताओं ने किसानों की समस्याओं का विस्तार से जिक्र किया। इस मौके पर लगभग डेढ़ दर्जन किसान नेता उपस्थित थे।
किसान नेताओं ने केंद्र की राजग सरकार समेत कांग्रेस को कोसा
'नर्मदा बचाओ आंदोलन' की नेता मेधा पाटकर ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर देश के 21 राजनीतिक दल एकजुट हैं। पूर्ण कर्ज माफी जैसे प्रस्ताव पर कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी हस्ताक्षर किये हैं। इसके बावजूद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के चुनावी घोषणा पत्र में दो लाख के कृषि ऋण का वायदा क्यों किया गया? इससे राजनीतिक दलों के दोहरे चरित्र का पता चलता है।
किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के अयोध्या चलो के नारे के विपरीत किसानों के मुद्दे पर दिल्ली चलो का नारा दिया गया है। सरकार के नोटबंदी का जवाब वोटबंदी से दिया जाएगा।
दिल्ली पहुंच रहे किसानों का जमावड़ा रामलीला मैदान में होगा, जहां 29 और 30 नवंबर को किसान अपनी ताकत का इजहार करेंगे। वीएम सिंह ने कहा कि 29 नवंबर के मनोरंजन के लिए 'एक शाम किसानों के नाम' का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश के जाने माने कलाकार हिस्सा लेंगे। 30 नवंबर को किसान संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कर्ज से पूर्ण मुक्ति और उपज का उचित मूल्य दिलाने संबंधी दो विधेयकों पर चर्चा की जाएगी।
देशभर के किसानों का हुजूम सरकार को तैयार विधेयक सौंपेगी, ताकि संसद उसे पारित कर कानून बना सके। इन दोनों विधेयकों को देश के 21 राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। तमिलनाडू के किसानों ने पहले ही जंतर मंतर पर आंदोलन किया था। महाराष्ट्र के किसानों का डेढ़ सौ किलोमीटर का लंबा मार्च हो चुका है। मध्य प्रदेश के मंदसौर और राजस्थान समेत देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों के आंदोलन को मजबूती प्रदान करने के लिए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने सबको एकजुट किया है।