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SC-ST एक्ट: बदलेगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला,फिर लागू होगा तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान

दलित अत्याचार निवारण कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने के मकसद से अगले सप्ताह एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 लाया जाएगा और पारित कराया जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 06:10 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 08:11 AM (IST)
SC-ST एक्ट: बदलेगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला,फिर लागू होगा तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान
SC-ST एक्ट: बदलेगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला,फिर लागू होगा तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एससी एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए सरकार के सिर पर ठीकरा फोड़ रहे विपक्षी दलों की रणनीति पर पानी डालने की तैयारी हो गई है। अध्यादेश की बजाय अब सरकार संशोधन के साथ पुराने कानून को लागू करने के लिए विधेयक ला रही है। जाहिर तौर पर इसके साथ ही सरकार ने 9 अगस्त के प्रस्तावित दलित आंदोलन का आधार भी खत्म कर दिया है।

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पिछले दिनों में विपक्ष के साथ साथ कुछ सहयोगी दलों ने भी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया था। यह प्रचारित करने की कोशिश हो रही थी कि सरकार दलित विरोधी है। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट का फैसला देने वाले जस्टिस आदर्श गोयल को एनजीटी अध्यक्ष बनाने पर भी सवाल उठाया जा रहा था। यूं तो सरकार सुप्रीम कोर्ट मे पुनर्विचार याचिका पर फैसले का इंतजार करना चाहती थी लेकिन अब रणनीति बदल गई।

बताते हैं कि दलित अत्याचार निवारण कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने के मकसद से अगले सप्ताह एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 लाया जाएगा और पारित कराया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संशोधित विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने मंत्रिमंडल के फैसले की पुष्टि की है। संशोधन के बाद अधिनियम के अनुच्छेद 18 अब 18ए हो जाएगा, जिससे कानून के प्रावधान सख्त हो जाएंगे। यानी रपट दर्ज कराने से पहले प्राथमिक जांच कराने की जरूरत नहीं होगी। जैसा पहले सुप्रीम कोर्ट  के फैसले में कहा गया था। इस कानून के दायरे में आने वाले आरोपी की गिरफ्तारी के लिए किसी भी तरह के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

तीसरा, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद धारा 438 के प्रावधान निष्कि्रय हो जाएंगें। इस धारा के तहत जांच कराने के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती है। साथ ही दर्ज किए गए एफआईआर में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत का प्रावधान है। संशोधन के बाद यह धारा ही समाप्त हो जाएगी। इस कानून को अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) संशोधित कानून-2018 कहा जाएगा।

गौरतलब है कि दलित संगठनों के साथ विपक्षी दल भी सुर मिलाकर 9 अगस्त को देशव्यापी आंदोलन में हिस्सा लेने का हुंकार भर रहे थे। राजग के घटक पार्टियों में लोजपा जैसी पार्टियों की भी भौहें तनी हुई थीं। इसके कई निहितार्थ भी निकाले जाने लगे थे। अब इस पर पानी फिर गया है।

लोजपा नेता व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सरकार के इस फैसले पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती पर जमकर कोसा और कहा कि उन्होंने इस कानून की धज्जियां उड़ा दी थी। उन्हें जवाब देना था। केंद्र की राजग सरकार ने दलितों के हितों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने में कोई विलंब नहीं किया। पासवान ने बकौल प्रधानमंत्री मोदी कहा कि इससे भी सख्त उपाय करने को विपक्षी दलों के सुझाने पर भी हम उसे स्वीकार करेंगे।


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