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प्रणब ने परखा इतिहास को अपनी नजरों से, बताया हेडगेवार को भारत का सपूत

हेडगेवार को सपूत करार देना यह बताने के लिए काफी है कि संघ की सोच में खोट नहीं है, हां कुछ व्यक्तियों में हो सकती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 07 Jun 2018 10:43 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 06:58 AM (IST)
प्रणब ने परखा इतिहास को अपनी नजरों से, बताया हेडगेवार को भारत का सपूत
प्रणब ने परखा इतिहास को अपनी नजरों से, बताया हेडगेवार को भारत का सपूत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रणब ने यह साबित कर दिया कि वह उन पुराने दिग्गज नेताओं में शामिल हैं जो इतिहास को अपनी नजरों से परखता है। शायद यही कारण है कि उन्होंने संघ के संस्थापक डा हेडगेवार को भारत का सपूत करार दे दिया। कांग्रेस के नेताओं के लिए यह नागवार हो सकता है। हालांकि उन्होंने समाज में सहिष्णुता की जरूरत पर बल देते हुए यह याद भी दिला दिया कि जाति धर्म के नाम पर हिंसा देश को तोड़ देगी।

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वहीं सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी सधे हुए शब्दों में यह स्पष्ट किया कि संघ पूरे समाज और देश निर्माण के लिए कार्य कर रहा है और इसमें हर किसी की हिस्सेदारी जरूरी है। यहां तक कि उन्होंने हेडगेवार का हवाला देते हुए बहुसंख्यक हिंदू समाज को उत्तरदायी बनने की भी याद दिला दी। ऐसे में अब बहस का सवाल यह है कि विवादों में घिरे रहे प्रणब के नागपुर दौरे से कांग्रेस और भाजपा ने क्या खोया और क्या पाया?

अगर कांग्रेस के कुछ नेता प्रणब के दौरे को लेकर आशंकित थे तो उसे निर्मूल नहीं कहा जा सकता है। खासतौर पर तब जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आरएसएस को सरेआम कठघरे में खड़ा करने से नहीं हिचकते। प्रणब के भाषण से पहले ही कांग्रेस की ओर से यह याद दिलाने की भी कोशिश हुई कि महात्मा गांधी के हत्यारे को पिस्तौल संघ नेता ने ही दी थी। ऐसे में प्रणब की संघ मुख्यालय में मौजूदगी ही यह साबित करने के लिए काफी थी कि संघ अछूत नहीं है।

हेडगेवार को सपूत करार देना यह बताने के लिए काफी है कि संघ की सोच में खोट नहीं है, हां कुछ व्यक्तियों में हो सकती है। कांग्रेस संघ की परछाई से भी डरती हो, लेकिन प्रणब राष्ट्रपति रहते हुए भी मोहन भागवत को बुलाकर चर्चा कर चुके हैं। वैसे भी भागवत ने यह तो स्पष्ट कर ही दिया कि हिंदू समाज को ज्यादा उत्तरदायी होना होगा। वैसे यह कहा जा सकता है कि दोनों दिग्गजों के भाषणों में दिखती रही बहुत कुछ साम्यता ने जहां भाजपा और संघ को बल दे दिया है वहीं कांग्रेस को थोड़ा असहज कर दिया है। खासकर हेडगेवार कांग्रेस को परेशान करेंगे।


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