प्रणब ने संघ को दिखाया आइना, मोदी सरकार को दिलायी राजधर्म की याद: कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने साफ शब्दों में राष्ट्रीयता से लेकर संविधान के बुनियादी मूल्यों पर देश के विचारों से संघ को रूबरू करा दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में भाषण के बाद सियासी राहत की सांस लेते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने संघ परिवार को देश के बुनियादी मूल्यों का आइना दिखाया है। पार्टी ने कहा है कि मुखर्जी ने देश की विविधता और सहिष्णुता को नकारने वाले संघ को अपने विचारों की संर्कीणता से बाहर आने की नसीहत दी है। साथ ही कांग्रेस के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म की याद दिलायी है।
-पूर्व राष्ट्रपति के संबोधन के बाद कांग्रेस ने ली राहत की सांस, संघ-पीएम पर जमकर किया प्रहार
-प्रणव के विचार स्वीकार्य हैं या नहीं संघ देश को बताए: सुरजेवाला
प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय जाने को लेकर सियासी रुप से बेचैन कांग्रेस ने उनके भाषण के बाद देर रात विशेष प्रेस कांफ्रेंस कर उनके संबोधन की न केवल प्रशंसा की बल्कि इसके सहारे संघ और भाजपा पर जमकर प्रहार किया। पूर्व राष्ट्रपति के संघ के कार्यक्रम में जाने की मीडिया में जारी जबरदस्त सुर्खियों ने कांग्रेस पर इतना दबाव बढ़ा दिया कि प्रणव के संबोधन से कुछ मिनट पहले पार्टी के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से आरएसएस पर जमकर निशाना साधा गया। इसमें महात्मा गांधी की हत्या से लेकर आजादी के आंदोलन में संघ के हिस्सा नहीं लेने के दस्तावेजों तक का हवाला दिया गया।
हालांकि कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर सीधे प्रणव को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं कि मगर अहमद पटेल से लेकर आनंद शर्मा जैसे कुछ दिग्गजों ने यहां तक कह दिया कि उन्हें प्रणव दा से ऐसी उम्मीद नहीं थी, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति का नागपुर में संबोधन खत्म होने के आधे घंटे के भीतर कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रणव के भाषण के सहारे ही संघ और भाजपा को खूब नसीहत दी।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने आएसएस की आंख और आत्मा पर छाये मकड़जाल को हटाने के लिए उन्हें सच का आइना दिखाया है। उनके मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति ने संघ की राष्ट्रीयता और राष्ट्र की अवधारणा को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अनेकता में एकता की भारत राष्ट्र की अवधारणा को एक रंग में रंगने की कोशिश खतरनाक होगी। उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने साफ कर दिया है कि बहुलवाद, सहिष्णुता, धर्मनिरेपक्षता और मिली-जुली संस्कृति हमारी राष्ट्रीयता के विश्वास का आधार है। इसी संदर्भ में उन्होंने सार्वजनिक विमर्श में हर तरीके की हिंसा चाहे वह शारीरिक हो या शब्दों की हिंसा के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जाहिर करते हुए सत्ता में विराजमान लोगों को चेताया है।
प्रणब के शासक की प्रसन्नता की परिभाषा के लिए कौटिल्य के कथन का उल्लेख करने का हवाला देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार को राजधर्म की याद दिलाने के लिए है। उन्होंने कहा कि दादा ने खासतौर पर पीएम को यह याद दिलायी है कि राजा की खुशी प्रजा के कल्याण और उसकी खुशी में है। सुरजेवाला ने दावा किया कि मुखर्जी ने संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे प्रहार को लेकर सरकार को यह नसीहत दी है।
कांग्रेस ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने साफ शब्दों में राष्ट्रीयता से लेकर संविधान के बुनियादी मूल्यों पर देश के विचारों से संघ को रूबरू करा दिया है। राष्ट्रवाद और भारतीयता को लेकर इससे स्पष्ट कोई परिभाषा नहीं हो सकती। सुरजेवाला के मुताबिक अब संघ और मोहन भागवत को यह जवाब देना है कि मुखर्जी के इन विचारों को वह आत्मसात करेगा या नहीं। उन्होंने कहा कि अब देश को संघ के जवाब का इंतजार है कि वह मुखर्जी के विचारों को स्वीकार करता है या नहीं।