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Maharashtra Political Crisis: सत्‍ता की दौड़ में कमजोर हुई 30 साल पुरानी डोर, जानें-पूरा मामला

आइए जानते हैं कि कैसे कमजोर हुआ तीस साल पुराना गठबंधन। 1999 के बाद महाराष्‍ट्र में क्‍याें कमजोर पड़ी कांग्रेस। कैसे चल रहा है एनसीपी के साथ कांग्रेस और शिवसेना का सियासी ड्रामा।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 01:16 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 09:01 AM (IST)
Maharashtra Political Crisis: सत्‍ता की दौड़ में कमजोर हुई 30 साल पुरानी डोर, जानें-पूरा मामला
Maharashtra Political Crisis: सत्‍ता की दौड़ में कमजोर हुई 30 साल पुरानी डोर, जानें-पूरा मामला

मुंबई, जागरण स्‍पेशल। Maharashtra Political Crisis: देश की निगाहें इन‍ दिनों महाराष्‍ट्र के सियासी ड्रामें पर टिकी है। विधानसभा चुनाव के बाद यहां सरकार के गठन को लेकर जोड़-तोड़ की सियासत तेज हो गई है। हालां‍कि, इस चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भारतीय जनता पार्टी ने सत्‍ता की दौड़ से अपने को बाहर कर लिया है। इसके बाद भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना की सक्रियता देखी जा रही है। सरकार गठन पर भाजपा के नहीं और शिवसेना के समर्थन पत्र नहीं सौंपने के बाद महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल ने शरद पवार की राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने का न्‍यौता दिया है। एनसीपी को कुर्सी तक पहुंचने के लिए कांग्रेस और शिवसेना की मदद जरूरी है। आइए जानते हैं कि कैसे कमजोर हुआ तीस साल पुराना गठबंधन। 1999 के बाद महाराष्‍ट्र में क्‍याें कमजोर पड़ी कांग्रेस। सरकार बनाने के लिए एनसीपी के साथ कांग्रेस और शिवसेना का सियासी ड्रामा।

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खत्‍म हुआ 30 साल पुराना गठबंधन

भाजपा और शिवसेना की दोस्‍ती का इतिहास काफी पुराना है। दोनों ने मिलकर महाराष्‍ट्र में कांग्रेस के वर्चस्‍व को खत्‍म कर दिया। 1989 में पहली बाद लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों दलों एक साथ अाए। इस गठबंधन ने महाराष्‍ट्र के इतिहास में नया इतिहास रचाा। इस गठबंधन ने महाराष्‍ट्र की तनता को नया विकल्‍प दिया। इसके बाद यह गठबंधन निरंतर मजबूत होता गया। 1989 के बाद हुए यहां हर विधानसभा चुनाव में दोनों दल एक साथ चुनाव लड़े। 1990 के विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन भाजपा और शिवसेना ने भी अच्‍छा प्रदर्शन किया। शिवसेना को 52 सीटें और भाजपा को 42 सीटें हासिल हुई। इसके बाद से वह निरंतर अपने मत प्रतिशत में वृद्धि कर रही है। 

1999 में कांग्रेस से अलग हुए शरद

महाराष्‍ट्र में कांग्रेस के दिग्‍गज नेजा कांग्रेस से अनबन के कारण अलग हो गए। शरद पवार ने अपनी नई पार्टी राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी का गठन किया। इसके बाद से कांग्रेस यहां और कमजोर हुई। इसके बाद से कांग्रेस यहा स्‍वतंत्र रूप से सरकार बनाने की स्थिति में नहीं रही। इस समीकरण से भाजपा और शिवसेना गठबंधन मजबूत हुआ। 

कुर्सी की दौड़ में एनसीपी आगे 

इस बार फ‍िर राज्‍यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्‍यौता दिया है। हालांकि, संसदीय व्‍यवस्‍था में यह विधान है कि चुनाव में जीते सबसे बड़े दल को ही सरकार बनाने क लिए न्‍यौता देता है। लेकिन भाजपा ने सरकार बनाने के लिए साफ कर दिया। ताजा घटनाक्रम में एनसीपी का दावा है कि उसके पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्‍त संख्‍या बल है। सोमवार को में एनसीपी के लिए उसके नेता अजीत पवार के पास राजभवन से सरकार गठन के लिए बुलाया गया। इसके बाद अजीत ने महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल बीएस कोश्यारी से मुलाकात की थी।   

राज्‍यपाल ने 24 घंटे का समय दिया 

सूबे नई सरकार गठन को लेकर एनसीपी को राजभवन से 24 घंटे का समय मिला है। ऐसे में एनसीपी के पास आज शाम तक अपने पत्ते खोलने का सही समय है। हालांकि, एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि अभी हम यह दावा नहीं कर रहे कि एनसीपी को शिवसेना और कांग्रेस का साथ चाहिए। उन्होंने यह भी शिवसेना हमारा समर्थन करेगी इस पर भी संदेश है।


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