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महाराष्ट्र में सियासी संकट से झारखंड व राजस्थान में सत्तारूढ़ दल हुए सतर्क, विधायकों की बढ़ी निगरानी

सूत्रों की मानें तो झामुमो को ज्यादा खतरा तत्काल नहीं दिख रहा लेकिन कांग्रेस को तोड़फोड़ का डर अधिक है। दोनों दलों में चिंता इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ चौतरफा घेराबंदी चल रही है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 10:07 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 06:44 AM (IST)
महाराष्ट्र में सियासी संकट से झारखंड व राजस्थान में सत्तारूढ़ दल हुए सतर्क, विधायकों की बढ़ी निगरानी
राजस्थान और झारखंड के मुख्यमंत्रियों की फाइल फोटो

जागरण टीम, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में मची उथल-पुथल ने झारखंड में सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस की भी नींद उड़ा दी है। दोनों दलों ने अपने-अपने विधायकों की निगरानी बढ़ा दी है। उधर, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महाराष्ट्र का सियासी संकट देख अपने विधायकों को साधने में जुट गए हैं। दूसरा, पिछले कुछ दिनों में राजस्थान के भाजपा नेताओं की बयानबाजी से भी सत्ता और संगठन में कांग्रेस विधायकों की पूछ बढ़ी है। इसी कड़ी में शुक्रवार को गहलोत ने कई विधायकों से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार मंत्रियों और अधिकारियों को विधायकों की सिफारिश को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।

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सूत्रों की मानें तो झामुमो को ज्यादा खतरा तत्काल नहीं दिख रहा, लेकिन कांग्रेस को तोड़फोड़ का डर अधिक है। दोनों दलों में चिंता इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ चौतरफा घेराबंदी चल रही है। पत्थर खनन मामले से लेकर फर्जी कंपनियों में निवेश का मामला हाई कोर्ट और चुनाव आयोग के समक्ष है। हेमंत के भाई व विधायक बसंत सोरेन के खिलाफ भी मामले हैं। कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं।

झारखंड में कांग्रेस के विधायकों पर खास तौर रखी जा रही नजर

बोरियो के झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने पूर्व से ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठा रखा है। कांग्रेस के वैसे विधायकों पर खास तौर पर नजर रखी जा रही है जो हेमंत मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए दावेदारी जताते रहे हैं। राज्य में हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने के आरोप दो बार लग चुके हैं। एक बार कांग्रेस और एक बार झामुमो के विधायक की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

उधर, राजस्थान में अब विधायकों की सलाह पर सरकारी कर्मचारियों के तबादले और विकास कार्य किए जा रहे हैं। संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए विधायकों से उनके समर्थकों के नाम मांगे गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा विधायकों के सतत संपर्क में हैं।

राजस्थान में किस भाजपा नेता ने क्या कहा

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने पिछले दो महीनों में तीन बार मीडिया और भाजपा के कार्यक्रमों में गहलोत सरकार के शीघ्र गिरने की बात कही है। कटारिया ने कहा कि सरकार की स्थिति बहुत खराब है। विधायक नाराज हैं। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने दो दिन पहले ही एक कार्यक्रम में कहा था कि कांग्रेस में चल रहा अंदरूनी संघर्ष मध्यावधि चुनाव की ओर लेकर जाएगा । मंत्रियों और विधायकों में आपसी बातचीत के संबंध अच्छे नहीं है। विधायक लगातार अपनी ही पार्टी के मंत्रियों पर आरोप लगा रहे हैं। इससे लगता है कि कांग्रेस का अंदरूनी कलह मध्यावधि चुनाव का संकेत देता है। उधर, गत 20 जून को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक सभा में कहा था कि सचिन पायलट में थोड़ी खामी रह गई थी । अगर ठीक हो जाता तो अब तक ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना का काम चालू हो जाता । भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने चार दिन पहले कहा था कि गहलोत सरकार कुछ ही दिन की मेहमान है।


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