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कमल नाथ के करीबियों पर केस दर्ज करने के निर्देश से मध्‍य प्रदेश में गरमाई सियासत, भाजपा ने की यह मांग

मध्य प्रदेश में कमल नाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई आयकर विभाग की ओर से की गई छापेमारी की रिपोर्ट आने और तीन आइपीएस सहित राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी पर एफआइआर दर्ज कराने के निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद सियासत गरम हो गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 10:00 PM (IST)
कमल नाथ के करीबियों पर केस दर्ज करने के निर्देश से मध्‍य प्रदेश में गरमाई सियासत, भाजपा ने की यह मांग
निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद मध्‍य प्रदेश में सियासत गरमा गई है।

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में कमल नाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई आयकर विभाग की ओर से की गई छापेमारी की रिपोर्ट आने और तीन आइपीएस सहित राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी पर एफआइआर दर्ज कराने संबंधी निर्देश के बाद सियासत गरम हो गई है। भाजपा ने आक्रामक तेवर अपनाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को भी घेरा है। वहीं, कांग्रेस बैकफुट पर है और वह कथित पुराने घोटालों से इसे जोड़कर बदले की कार्रवाई बता रही है। उधर, मामले में चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम सामने आने से प्रशासनिक तंत्र में भी बेचैनी है।

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आयकर विभाग ने मारे थे छापे

गौरतलब है कि अप्रैल 2019 में आयकर विभाग ने भोपाल, इंदौर और दिल्ली में 52 स्थानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। इसकी जद में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ के सलाहकार आरके मिगलानी, ओएसडी प्रवीण कक्कड़, इंदौर के हवाला कारोबारी ललित कुमार छजलानी, एनजीओ से जुड़े अश्विनी शर्मा, प्रतीक जोशी और हिमांशु शर्मा आए थे। इस दौरान ट्रांसफर, पोस्टिंग सहित अन्य लेन-देन के दस्तावेज, 93 करोड़ रुपये के लेन-देन की जानकारी और चार करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई थी।

एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश

दस्तावेजों से तत्कालीन मंत्रियों, विधायकों और लोकसभा उम्मीदवारों को बड़ी राशि देने का राजफाश हुआ था। इस मामले में चुनाव आयोग ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमल नाथ सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि अभी तक हमारे पास इस बारे में कोई पत्र नहीं आया है, लेकिन जैसे ही विस्तृत जानकारी या पत्र आएगा, उसके और तथ्यों के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं लांघ दी गई थीं।

कमल नाथ पर एफआइआर दर्ज करने की मांग

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एवं सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कमल नाथ और उनके सहयोगियों पर भी एफआइआर दर्ज कराने की मांग चुनाव आयोग से की है। उन्होंने कहा कि जिन अधिकारियों और लोगों के विरुद्ध एफआइआर का निर्देश दिया गया है, उनमें कुछ अधिकारी कमल नाथ के निकटवर्ती कारोबारी और रिश्तेदार शामिल हैं। आयकर छापेमारी में जब्त राशि का संबंध कांग्रेस कार्यालय और कमल नाथ से सीधे जुड़ता है। जब कमल नाथ के भानजे रतुल पुरी और दाहिने हाथ आरके मिगलानी व प्रवीण कक्कड़ की भूमिका स्पष्ट हो रही है तो स्वाभाविक है कि वे किसके लिए काम कर रहे थे।

कांग्रेस ने नगरीय निकाय चुनाव से जोड़ा मामला

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने पलटवार में कहा कि भाजपा सरकार के बहुचर्चित ई-टेंडर जांच से जुड़े अधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए वर्ष 2019 का झूठा मामला सामने लाया जा रहा है।

शासन को भेजी चुनाव आयोग की रिपोर्ट

आयकर विभाग के छापे की रिपोर्ट चुनाव आयोग ने गुरुवार को मध्य प्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) वीरा राणा को भेजी। आयोग का कर्मचारी दोपहर तीन बजे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की सीलबंद रिपोर्ट लेकर आया। इसे सीईओ कार्यालय ने आगामी कार्रवाई के लिए राज्य शासन को भेज दिया। इसकी सूचना चुनाव आयोग को भी भेजी गई है। अब सामान्य प्रशासन विभाग आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) को रिपोर्ट के आधार पर भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के तीन और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करके कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखेगा। संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी धरणेंद्र कुमार जैन ने इसकी पुष्टि की है। 


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