छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर में खुद के संसाधनों के बूते पुलिस ने शुरू की सड़क क्रांति
बस्तर में सड़क निर्मांण करना बहुत बड़ी चुनौती है। सड़कों के जरिए ही विकास के बाकी रास्ते खुलेंगे, लेकिन नक्सली यह नहीं चाहते।
हिमांशु शर्मा/मो. इमरान खान, नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में मूल अधोसंरचना का विकास ही नक्सलवाद के उन्मूलन की मूल चुनौती है। आए दिन खबरें आती हैं कि यहां सड़क निर्मांण में लगी मशीनों और संसाधनों को नक्सली आग के हवाले कर देते हैं। नक्सली सड़कों के विरोधी हैं। वे नक्सल गलियारे में विकास नहीं चाहते। सड़कों के रास्ते ही विकास आएगा और वे इसी वजह से सड़क निर्मांण का विरोध करते हैं। इन बातों पर विचार करते हुए बस्तर की नारायणपुर पुलिस ने एक नई मुहिम छेड़ी है। बहुत छोटी, लेकिन एक प्रभावी पहल यहां सड़क क्रांति के क्षेत्र में पुलिस ने शुरू की है। यहां पुलिस अब खुद के संसाधनों के बूते सड़क निर्मांण का काम करेगी।
जब एसपी बने पोकलेन के ऑपरेटर
नारायणपुर छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक सघन वन क्षेत्र वाला इलाका है। यहां सड़क अधोसंरचना की स्थिति बेहद खराब है। घने जंगलों के कारण यहां सड़क संरचना का विकास हो ही नहीं पाया है। इसी इलाके में देश का सबसे संवेदनशील नक्सल ठिकाना अबूझमाढ़ स्थित है। पिछले दिनों सामने आई एनआईए की मोस्ट वांटेड नक्सलियों की सूची में यह जानकारी सामने आई थी कि यहां नक्सलियों के कई बड़े नेता शरण लिए हुए हैं। अब नारायणपुर पुलिस सड़क के जरिए नक्सलवाद के खात्मे के रास्ते पर काम करेगी। नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने नई खरीदी गई पोकलेन मशीन चलाकर डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क निर्मांण की शुरूआत की।
शहीद के बेटे के हाथों हुआ सड़क निर्मांण का भूमि पूजन
पुलिस ने सड़क का निर्मांण करने के लिए खुद की पोकलेन मशीन खरीदी है। अब पुलिस के जवान खुद मोर्चे पर उतर गए हैं और अपनी मश्ाीन लेकर सड़क बना रहे हैं। इसकी शुरूआत जिला मुख्यालय के पुलिस लाइन से लेकर मुख्य सड़क तक नई सड़क बनाने से हुआ। बुधवार को इस सड़क के निर्मांण का भूमि पूजन यहां पुलिस लाइन में रह रहे शहीद के बेटे के हाथों हुई।
एक हफ्ते के अंदर बनी रणनीति और शुरू हो गया काम
सड़क निर्मांण की चुनौती से बस्तर की पुलिस लंबे समय से रू-ब-रू होती रही है। यहां नीजि कंस्ट्रक्शन कंपनियों के सहयोग से सड़कों का निर्मांण कराया जाता है। नक्सली लगातार सड़क निर्मांण में लगी मशीनों और वाहनों को आग के हवाले करते रहते हैं। पुलिस भी सड़क निर्मांण के लिए सुरक्षा मुहैया कराने की कोशिश करती रही है, बावजूद इसके नक्सल आगजनी की घटनाएं होती रहती हैं। इस वजह से यहां नीजि कंस्ट्रक्शन कंपनियां काम लेने में रूचि नहीं दिखातीं। इसी परेशानी के मद्देनजर पुलिस कल्याण बोर्ड की जिला स्तरीय बैठक में एक हफ्ते पहले चर्चा हुई और वहीं यह तय किया गया कि सड़क निर्मांण के लिए पुलिस अपने संसाधन विकसित करेगी। इसी के बाद पहली पोकलेन मशीन खरीदी गई और बुधवार को पहली सड़क का काम शुरू हुआ।
बस्तर में सड़क निर्मांण करना बहुत बड़ी चुनौती है। सड़कों के जरिए ही विकास के बाकी रास्ते खुलेंगे, लेकिन नक्सली यह नहीं चाहते। इसी बात को देखते हुए पुलिस ने खुद के संसाधनों के बूते पर सड़क बनाने की मुहिम छेड़ी है- रजनेश सिंह, पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर।