पीएम मोदी ने कहा- अनुशासित को आजकल घोषित कर दिया जाता है तानाशाह
उपराष्ट्रपति वैकेंया नायडू ने कहा कि संसद में जिस तरह का काम-काज होना चाहिए, वैसा नहीं हो पा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू की अनुशासनप्रियता की जमकर तारीफ करते हुए विपक्ष पर परोक्ष निशाना साधा। पीएम ने कहा कि आजकल देश में ऐसे हालात है, कि अगर कोई अनुशासित हो, तो उसे अलोकतांत्रिक या ऑटोक्रेट (तानाशाह) तक कह दिया जाता है। विपक्ष के लोकतांत्रिक आवाज को दबाने के आरोपों के मद्देनजर पीएम का यह करारा पलटवार रहा। पीएम मोदी रविवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति नायडू की ओर से अपने एक साल के काम-काज को लिखी गई पुस्तक -मूविंग ऑन- मूविंग फारवर्ड- ए ईयर इन ऑफिस- के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने नायडू को लेकर उस स्मरण को भी सुनाया, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी उन्हें अपने मंत्रीमंडल में शामिल करना चाहते थे, तब नायडू ने ग्रामीण विकास मंत्रालय दिए जाने का आग्रह किया था। पीएम मोदी ने कहा कि वह दिल से एक किसान है और किसानों एवं कृषि कल्याण को लेकर सदा ही गंभीर रहे है। पीएम मोदी ने वैंकेया की समयबद्धता की भी तारीफ की और कहा कि उनके दौरे के दौरान काफी सतर्क रहना होता है, जबकि वह न तो घड़ी रखते है और न पेन और पैसा, लेकिन प्रत्येक कार्यक्रम में वह समय से ही पहुंचते है।
पीएम ने कहा जब सदन चलता है तो यह नहीं देखा जाता कि कौन आसन पर बैठा है, मगर जब सदन नहीं चलता है, तो सवाल उठता है, कि आसन पर कौन है? कार्यक्रम में बोलते हुए उपराष्ट्रपति वैकेंया नायडू ने संसद में होने-वाले हंगामे को लेकर थोड़ी नाखुशी जताई और कहा कि संसद में जिस तरह का काम-काज होना चाहिए, वैसा नहीं हो पा रहा है। हालांकि पिछले सत्र को उन्होंने अपेक्षाकृत सफल बताया और कहा कि इनमें सामाजिक मजबूती को लेकर कई अहम काम हुए।
उन्होंने इस दौरान संसदीय गरिमा को बनाए रखने के लिए राजनीतिक दलों से सासंदों और विधायकों के लिए एक आचार संहिता बनाने का सुझाव दिया। इसके अलावा भी उन्होंने संसद और राज्य विधानसभाओं को मजबूत बनाने के कई सुझाव दिए। इनमें राज्यों में उच्च सदन की जरूरत को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का भी सुझाव शामिल है।
पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नायडू की इस पुस्तक से उनके एक साल के राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव को देखने को मिला है, लेकिन आने वाले दिनों में इससे भी अच्छे अनुभव देखने को मिलेंगे। क्योंकि उनका सामाजिक क्षेत्र में काम करने का काफी लंबा अनुभव है। उन्होंने इस दौरान एक शेर भी पढ़ा। कहा -सितारों के आगे जहां और भी, अभी इश्क के इम्तहां और भी है। कार्यक्रम को इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा सहित बड़ी संख्या में मंत्री, सासंद, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
245 पृष्ठों और सात अध्याय वाली किताब 'मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड : ए ईयर इन ऑफिस' के विमोचन कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली मौजूद रहे। नायडू ने इस किताब में राज्यसभा सभापति के रूप में अपने एक साल के कार्यकाल का वर्णन किया है। इसके अलावा में इसमें न्यू इंडिया मिशन का भी जिक्र किया है। उपराष्ट्रपति के रूप में अपने अनुभव के बारे में बताते हुए नायडू ने पुस्तक में कहा कि यह कठिन चुनौतियों और असीमित अवसरों का समय है।