पीएम का राहुल के 'डंडा' बयान पर फिर करारा प्रहार, कहा- मेरे पास माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच
पीएम ने राहुल गांधी के डंडे वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि जिसको माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो उस पर डंडों का असर नहीं होगा।
कोकराझार, एजेंसियां। केंद्र व असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों के बीच शांति समझौते के जश्न में शामिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के डंडा वाले बयान पर एक बार फिर करारा प्रहार किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कश्मीरी आतंकवादियों, पूर्वोत्तर के प्रतिबंधित संगठनों और नक्सलियों से हथियार डालकर राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल होने और जीवन का जश्न मनाने की अपील भी की।
पृथक बोडोलैंड के लिए कभी सशस्त्र आंदोलन के गढ़ रहे कोकराझार में विशाल रैली में प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कभी-कभी लोग मोदी को डंडा मारने की बाते कहते हैं, लेकिन जिस मोदी को देशभर की माताओं-बहनों के आर्शीवाद का सुरक्षा कवच मिला हो उस पर कितने भी डंडे पड़ जाएं उसको कुछ नहीं होगा। गौरतलब है कि बोडो आंदोलन को खत्म करने के लिए 27 जनवरी को हुए त्रिपक्षीय समझौता हुआ था और उसकी का जश्न मनाने के लिए इस रैली का आयोजन किया गया था।
स्थायी शांति आएगीपहले की गैर भाजपा सरकारों पर जटिल मुद्दों को सुलझाने में हीलाहवाली का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इससे लोग दूर होते गए और लोकतंत्र व संविधान से उनका भरोसा उठ गया। उन्होंने कहा, 'बोडो समझौते से असम में अमन चैन और विकास की नई सुबह की शुरुआत हुई है। लोगों के सहयोग से यहां स्थायी शांति स्थापित होगी।'उन्होंने उम्मीद जताई कि 1993 और 2003 में उग्रवादियों के साथ हुए पहले के समझौतों से उलट केंद्र, असम सरकार और बोडो संगठनों के बीच हुए समझौते से क्षेत्र में स्थायी शांति आएगी।
उन्होंने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद अब कोई भी मांग नहीं बची है। अब विकास ही प्राथमिकताप्रधानमंत्री ने कहा, 'अब विकास ही हमारी पहली और आखिरी प्राथमिकता है। मुझ पर भरोसा करें, मैं आपका हूं। जब आपने बंदूक और गोली का रास्ता छोड़ने का फैसला कर लिया है, मैं यह सुनिश्चित करने के लिए सबकुछ करूंगा कि आपको एक कांटा भी ना चूभे।' प्रधानमंत्री ने कश्मीर, पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों में बम और हथियार उठाए आतंकियों, उग्रवादियों और नक्सलियों से मुख्यधारा में वापस आने और जीवन का जश्न मनाने की अपील भी की।
सीएए के बाद पीएम का पहला असम दौरा
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के लागू होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का असम का यह पहला दौरा था। सीएए विरोध में असम के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन देखने को मिला था। इस प्रदर्शन के चलते प्रधानमत्री को दिसंबर और जनवरी में अपनी असम यात्रा रद करनी पड़ी थी। दिसंबर में जापान के प्रधानमंत्री के साथ उनकी असम में शिखर बैठक होनी थी। इसको देखते हुए प्रधानमंत्री की रैली के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा, 'सीएए को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि इस कानून के बनने से दूसरे देशों से लाखों लोग आ जाएंगे। ऐसा कुछ नहीं होगा।'
क्या है बोडो शांति समझौता
भारत सरकार, असम सरकार और प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन- नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के बीच एक शांति समझौता हुआ। इसके तहत प्रमुख उग्रवादी समूह नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1,500 से ज्यादा उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। असम के चार जिले बोडो टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (BTAD) के तहत आते हैं। ये जिले हैं- कोकराझार, बक्सा, उदलगुड़ी, चिरांग। इन जनजातियों द्वारा लंबे समय से अलग राज्य- बोडोलैंड की मांग की जाती रही है। सबसे पहले यह मांग 1966-67 में उठाई गई थी।