नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अमेरिका से प्रगाढ़ बने रहे रिश्ते, भारतीय कूटनीति को मिल रहा नया आयाम
भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा को भारत के लिए अहम करार दिया है। भाजपा के अनुसार प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति के साथ भारत के प्रगाढ़ संबंधों की निरंतरता को बरकरार रखा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा को भारत के लिए अहम करार दिया है। भाजपा के अनुसार प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति के साथ भारत के प्रगाढ़ संबंधों की निरंतरता को बरकरार रखा है। वहीं कई देशों के साथ द्विपक्षीय बातचीत कर कोरोना के बाद दुनिया के बदलते भू-राजनीतिक रिश्तों में भारत के हितों को साधने की भी कोशिश की है। कूटनीति के अलावा मोदी की यात्रा देश में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश और उच्चतम गुणवत्ता वाली तकनीक लाने में भी सहायक साबित होगी।
संबंधों में मजबूती की उम्मीद
दरअसल, 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के समय से अमेरिका में बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप के बाद जो बाइडन तीसरे राष्ट्रपति बने हैं। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के अनुसार अलग-अलग दलों के होने के बावजूद तीनों राष्ट्रपतियों के साथ मोदी के संबंध उतने ही प्रगाढ़ रहे हैं और उनके सामने भारत के हितों को उतनी ही प्रबलता के साथ रखा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बाइडन और मोदी की बैठक से इसमें और मजबूती आएगी।
पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश
वहीं भाजपा के विदेश विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाला ने मोदी और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मुलाकात में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश को बड़ी उपलब्धि बताया। चौथाईवाला के अनुसार इससे दुनिया में यह साफ संदेश गया है कि भारत और अमेरिका न सिर्फ मजबूत रणनीतिक साझेदार हैं, बल्कि आतंकवाद सहित कई वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों की सोच एक जैसी है। उन्होंने कमला हैरिस और मोदी की मुलाकात को प्रोटोकाल से हटकर होने की ओर भी ध्यान दिलाया।
क्वाड मौजूदा वक्त की जरूरत
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को बहुआयामी बताते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने इस दौरान जापान और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों के साथ भी द्विपक्षीय बातचीत को अहम बताया। उन्होंने भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच बने क्वाड को नाटो से जोड़कर देखे जाने पर आपत्ति जताई। उनके अनुसार नाटो 20वीं सदी की कूटनीतिक जरूरत के हिसाब से बना था और उसका विस्तार अमेरिका और यूरोप तक सीमित था। दूसरी तरफ, क्वाड 21वीं सदी की जरूरत की देन है और इसका फोकस एशिया है। यह एशिया सहित पूरी दुनिया में भारत की बढ़ती अहमियत को भी दर्शाता है।
निवेश लाने में मिलेगी सफलता
संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के समय प्रधानमंत्री की यात्रा सामान्य तौर पर सत्र को संबोधित करने और अमेरिकी नेताओं के साथ मुलाकात तक सिमट कर रह जाती है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसका इस्तेमाल विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों और बड़ी कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात के लिए भी किया। विजय चौथाईवाला ने उम्मीद जताई कि इस बैठक से भारत में उच्च गुणवत्ता वाली तकनीक के साथ-साथ बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश लाने में भी सफलता मिलेगी।