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National Education Policy 2020: गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में बोले PM मोदी- यह सरकार की नहीं, बल्कि देश की शिक्षा नीति है

सम्मेलन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से हमें ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना है जो राष्ट्र-गौरव के साथ-साथ विश्व-कल्याण की भावना से ओत-प्रोत हों।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 09:04 AM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 05:27 PM (IST)
National Education Policy 2020: गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में बोले PM मोदी- यह सरकार की नहीं, बल्कि देश की शिक्षा नीति है
National Education Policy 2020: गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में बोले PM मोदी- यह सरकार की नहीं, बल्कि देश की शिक्षा नीति है

नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) पर राज्यपालों के सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान पीएम ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक, शिक्षा और स्किल्स दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी। वहीं, राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों में शिक्षकों की केन्द्रीय भूमिका रहेगी। शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का विषय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बदलावों में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भूमिका' रखा गया है। इसमें सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग ले रहे हैं।

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ये सरकार की नहीं, देश की शिक्षा नीति

सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य को ध्यान में रखते हुए व्यापक प्रावधान किए गए है। जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार गांवों तक हो रहा है। वैसे-वैसे सूचना और शिक्षा का एक्सेस भी बढ़ रहा है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर कॉलेज में तकनीकी सॉल्यूशंस को ज्यादा प्रमोट करें।

21वीं सदी के भारत को नई दिशा मिलेगी

पीएम मोदी ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ पढ़ाई के तौर तरीकों में बदलाव के लिए ही नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक पक्ष को नई दिशा देने वाली है। ये आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और सामर्थ्य को आकार देने वाली है। गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार मैं होते हुए देखना चाहता था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की बड़ी वजह यही है: पीएम मोदी

कम होना चाहिए सरकार का दखल

पीएम मोदी ने आगे कहा कि देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए। शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिभावक जुड़े होंगे, छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है।

शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण

वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपालों के सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी। यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों में शिक्षकों की केन्द्रीय भूमिका रहेगी। इस शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन होना चाहिए तथा उनकी आजीविका, मान-मर्यादा और स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

केंद्र और राज्यों का तालमेल जरूरी

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सफलता केंद्र तथा राज्य दोनों के प्रभावी योगदान पर निर्भर करेगी। भारतीय संविधान के अंतर्गत शिक्षा कन्करंट लिस्ट का विषय है। अतः इसमें केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त और समन्वयपूर्ण कार्रवाई की आवश्यकता है। शिक्षा के माध्यम से हमें ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना है, जो राष्ट्र-गौरव के साथ-साथ विश्व-कल्याण की भावना से ओत-प्रोत हों और सही अर्थों में ग्लोबल सिटिजन बन सकें।

देश भर में सम्मेलनों का आयोजन 

गौरतलब है कि देशभर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर कई वेबिनार, वर्चुअल कॉन्फ्रेंस और सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पिछले दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर सम्मेलन आयोजित किया था, जिसे खुद प्रधानमंत्री ने संबोधित किया था।

29 जुलाई को नई शिक्षा नीति को मिली मंजूरी

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी थी। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी। सरकार के मुताबिक, इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना तथा प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।


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