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PM मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर किया विमर्श, एजुकेशन सेक्टर में जरूरी बदलावों पर चर्चा

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 07:42 AM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 07:42 AM (IST)
PM मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर किया विमर्श, एजुकेशन सेक्टर में जरूरी बदलावों पर चर्चा
PM मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर किया विमर्श, एजुकेशन सेक्टर में जरूरी बदलावों पर चर्चा

नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) समेत शिक्षा क्षेत्र में जरूरी बदलावों पर विमर्श किया।इस दौरान पीएम मोदी ने शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल पर बल दिया। उन्होंने ऑनलाइन क्लासेस, एजुकेशन पोर्टल व शिक्षा विशेष चैनलों पर कक्षावार प्रसारण जैसी तकनीक के इस्तेमाल व सीखने की क्षमता को बढ़ाने की बात कही।सरकार की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि विमर्श के दौरान शैक्षणिक बदलाव की तरफ कदम बढ़ाने का फैसला लिया गया, ताकि सभी को उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान की जाए और भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु बने।

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उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान शिक्षण संस्थान छात्रों की मदद के लिए कई प्रकार के ऑनलाइन टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी और 1992 में इसमें बदलाव किया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बने हुए तीन दशक से ज्यादा समय बीत गया है और अब नई शिक्षा नीति की जरूरत है। 

नई शिक्षा नीति नव भारत का निर्माण सुनिश्चित करेगी। 33 सालों के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने मिलेगा। इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति बनाई गई थी। तब से लेकर अब तक देश में इसी नीति को आधार मानकर शिक्षा को गति दी जा रही है। सरकार ने नई नीति की जरूरत को काफी पहले से समझ लिया था।

नई शिक्षा नीति को लेकर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता यह उम्मीद जगाती है कि यह नीति जल्द सामने आएगी। ऐसा होना समय की मांग भी है, क्योंकि वायदे के अनुसार नई शिक्षा नीति मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही आ जानी चाहिए थी। कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि देर से आ रही शिक्षा नीति दुरुस्त भी हो। वास्तव में आवश्यक केवल यह नहीं है कि नई शिक्षा नीति यथाशीघ्र सामने आए, बल्कि यह भी है कि ऐसी तैयारी की जाए जिससे उस पर अमल का काम तेजी के साथ हो सके।


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