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मोदी और पुतिन के सामने बेटे को खड़ा देख रो पड़ी मां.. कहा हमारी हैसियत ही क्या

चिता की राख को जैविक खाद में बदल देने वाला मोक्षा नामक यंत्र अतुल ने अपने मार्गदर्शक संग मिलकर तैयार किया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 08:03 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 07:11 PM (IST)
मोदी और पुतिन के सामने बेटे को खड़ा देख रो पड़ी मां.. कहा हमारी हैसियत ही क्या
मोदी और पुतिन के सामने बेटे को खड़ा देख रो पड़ी मां.. कहा हमारी हैसियत ही क्या

बिलासपुर (राधाकिशन शर्मा)। नई दिल्ली के आइआइटी भवन में आयोजित इनोवेशन फेस्टिवल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बाल वैज्ञानिक अतुल अग्रवाल से मुखातिब हुए थे।उधर, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में अतुल की विधवा मां टीवी पर यह नजारा टकटकी लगाए देख रही थी। उनके लिए वक्त मानों थम गया था। टीवी पर दिख रहे उस नजारे में मानों जीवन का सार सिमट आया था। बेटे की यह उपलब्धि देख मां की आंखों से आंसू बह रहे थे। एक छोटे से स्कूल में आया का काम करने वाली सरस्वती अग्रवाल का बेटा अतुल मोदी और पुतिन को अपने आविष्कार 'मोक्षा' की बारीकियां समझा रहा था।

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सरस्वती को महीने में इतनी तनख्वाह भी नहीं मिलती कि घर का गुजारा चल जाए। वे जैसे-तैसे घर चलाने के साथ ही बेटा अतुल व बेटी अर्पिता को तालीम दे रही हैं। उनकी कड़ी मेहनत और भरोसे पर अतुल खरा उतरता दिखाई दे रहा है।

सरस्वती से जब हमने पूछा, आज कैसा लग रहा है? इतना पूछना था कि उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। खुशी के आसुंओं के बीच उनका गला रुंध आया। पांच मिनट कुछ बोल नहीं पाई। फिर बोलीं, अतुल ने पीढ़ियों का नाम रोशन कर दिया है। हम तो ख्वाब में भी नहीं सोच सकते थे। हमारी हैसियत ही क्या है। हमारे जैसे बेहद साधारण परिवार में रहने वाले किसी मंत्री या ऊंचे ओहदे वालों के साथ बात करने की सोच नहीं सकते। बेटे को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से बात करते देख जीवन सफल हो गया।

संघर्ष से भरा है इन बाल वैज्ञानिकों का सफर
पढ़ाई और घर चलाने में मां की मदद करने के लिए अतुल अखबार बांटने (हॉकर) का काम करता है। सुबह चार बजे उठ अखबार लेकर बांटने के बाद ही स्कूल जाता है। बिलासपुर के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई के अलावा लैब में आविष्कार के लिए चार से पांच घंटे का अतिरिक्त समय बिताता है। यही उनकी दिनचर्या है। चिता की राख को जैविक खाद में बदल देने वाला 'मोक्षा' नामक यंत्र अतुल ने अपने मार्गदर्शक संग मिलकर तैयार किया। इसी स्कूल के योगेश मानिकपुरी ने 'ईको जिम' की अवधारणा दी। जिम में मौजूद उपकरणों में एक यंत्र लगा दिया, जिससे व्यायाम करते हुए बिजली तैयार की जा सकती है। योगेश भी साधारण परिवार से ताल्लुक रखता है। उसके माता-पिता रोजी मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। वह भी परिवार की मदद के लिए एक इलेक्ट्रीशियन की दुकान पर काम करता है।

दैनिक जागरण ने प्रकाशित की थी इनकी कहानी
दैनिक जागरण ने 12 फरवरी के अंक में बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के बाल वैज्ञानिक अतुल अग्रवाल के आविष्कार 'मोक्षा' और उसके निजी जीवन के संघर्ष पर विशेष स्टोरी प्रकाशित की थी। इसी तरह 19 अप्रैल के अंक में योगेश मानिकपुरी के संघर्ष और आविष्कार को भी देश के सामने रखा था। जिसके बाद नीति आयोग व सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इनकी पड़ताल की और प्रोजेक्ट्स को चुना। अंतत: दोनों आविष्कार देशभर से चुने गए चुनिंदा पांच में जगह बनाने में सफल रहे। भारत-रूस के बीच ऐसे नए आविष्कारों में परस्पर सहयोग बढ़ाने के लिए उपक्रम हुआ है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ रूस से भी बाल वैज्ञानिकों की टीम आई है, जिसने भारतीय बाल वैज्ञानिकों से मुलाकात की।


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