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दो सीटों से चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर एक उम्मीदवार के दो जगह से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 09:59 PM (IST)
दो सीटों से चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
दो सीटों से चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक उम्मीदवार के दो सीटों से चुनाव लड़ने पर रोक की मांग पर सुप्रीम कोर्ट दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर एक उम्मीदवार के दो जगह से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है।

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बुधवार को उपाध्याय ने न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले को दो सप्ताह बाद उचित पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया। इस मामले में कोर्ट ने गत वर्ष केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था और सरकार व आयोग दोनों ही अपना जवाब भी दाखिल कर चुके हैं। आयोग दो जगह से चुनाव लड़ने के नियम पर रोक के पक्ष में है जबकि सरकार ने कोर्ट में नियम की तरफदारी की है।

याचिका में उपाध्याय ने अगर उम्मीदवार दोनों जगह से जीत जाता है तो उसे एक सीट छोड़नी पड़ती है और उस छोड़ी हुई सीट पर दोबारा उप चुनाव कराया जाता है। इससे आर्थिक बोझ बढ़ता है। चुनाव आयोग ने पहले दाखिल किये अपने हलफनामे में याचिका का समर्थन किया था। चुनाव आयोग का कहना है कि उसने 2004 के चुनाव सुधार प्रस्ताव में ही कहा था कि कानून में संशोधन होना चाहिए और एक से ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं होनी चाहिए।

हालांकि आयोग ने यह भी कहा था कि संसद की स्थाई समिति ने 1998 में ही दो जगह से चुनाव लड़ने पर रोक का प्रस्ताव खारिज कर दिया था। चुनाव आयोग ने कहा है कि उसने 2004 के प्रस्ताव में कहा था कि दो जगह से चुनाव जीतने के बाद अगर उम्मीदवार एक सीट छोड़ता है तो उससे छोड़ी गई सीट पर दोबारा चुनाव के खर्च का पैसा सरकारी खाते में जमा कराया जाना चाहिए।

उस समय आयोग ने विधानसभा के लिए पांच लाख और लोकसभा सीट के लिए 10 लाख रुपये जमा कराए जाने का प्रस्ताव दिया था आयोग ने कहा है कि उसके 2004 के प्रस्ताव में कोई बदलाव नहीं है हालांकि अब चुनाव खर्च को बढ़ाया जाना चाहिए।

सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में याचिका का विरोध करते हुए नियम का समर्थन किया था। सरकार ने कहा था कि यह प्रावधान उम्मीदवार को बेहतर विकल्प प्रदान करता है और लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप है।


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