नशे में धुत वोटरों को वोट देने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका
याचिका के मुताबिक, वर्तमान कानूनी ढांचे के तहत शराब वितरण बाधित कर स्त्रोत पर रोक लगाने के प्रयास किए जाते हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें मतदान केंद्रों पर ब्रीथ एनालाइजर या अन्य उपकरण लगाने की मांग की गई है ताकि नशे में धुत मतदाताओं को वोट डालने से रोका जा सके।
चेन्नई स्थित गैर सरकारी संगठन 'तमिलनाद तेलुगु युवा शक्ति' के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता केथीरेड्डी जगदीश्वर रेड्डी द्वारा दायर इस जनहित याचिका में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया गया है। याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए ऐसे उपकरणों को लगाया जाना बेहद जरूरी है। इसकी वजह यह है कि राजनीतिक दल शराब के व्यापक उपयोग से निष्पक्ष चुनावों में बाधा डालते हैं।
याचिका के मुताबिक, वर्तमान कानूनी ढांचे के तहत शराब वितरण बाधित कर स्त्रोत पर रोक लगाने के प्रयास किए जाते हैं। लेकिन मतदाताओं को शराब पीकर आने और उनकी निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है। कानूनी तौर पर मतदान केंद्र पर नशे में धुत वोटर की पहचान के लिए कोई उपकरण नहीं होता और न ही निर्वाचन अधिकारी नशे में धुत वोटर को वोट देने से रोक सकता है। जबकि ऐसा किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि कानूनी तौर पर अल्कोहल के प्रभाव में व्यक्ति अस्थायी तौर पर अस्थिर मस्तिष्क का माना जाता है।