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मोदी सरकार में 'संकटमोचक' बने पीयूष गोयल, हर मोर्चे पर किया खुद को साबित

54 साल के पीयूष गोयल भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और राज्यसभा सांसद हैं। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट पीयूष गोयल प्रबंधन के मुद्दों पर कई बड़ी कॉरपोरेट संस्थाओं के सलाहकार भी रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 01:44 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 01:44 PM (IST)
मोदी सरकार में 'संकटमोचक' बने पीयूष गोयल, हर मोर्चे पर किया खुद को साबित
मोदी सरकार में 'संकटमोचक' बने पीयूष गोयल, हर मोर्चे पर किया खुद को साबित

नई दिल्‍ली, जेएनएन। पीयूष गोयल का नाम मोदी सरकार में संकटमोचक मंत्रियों में शुमार होता है। उन्‍हें जब-जब जिम्‍मेदारी मिली है, वे उसपर खरे उतरे हैं। फिर चाहे वो जिम्‍मेदारी ऊर्जा मंत्री के रूप में हो, रेल मंत्री के रूप में हो या वित्‍त मंत्री के रूप में। पीयूष गोयल के पास इस समय दो अहम कोयला और रेल मंत्रालय हैं। अब अरुण जेटली की अस्वस्थता की वजह से पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का फिर अतिरिक्त प्रभार मिल गया है। खबर है कि अब पीयूष गोयल ही 1 फरवरी को भारत सरकार की ओर से अंतरिम बजट पेश करेंगे।

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आरएसएस से है पुराना नाता
दरअसल, जब भी मोदी सरकार में कोई संकट उत्‍पन्‍न होता है, तब जिन नेताओं को याद किया जाता है उसमें पीयूष गोयल भी शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पीयूष गोयल के परिवार से बेहद पुराना संबंध है। गोयल के दिवंगत पिता वेद प्रकाश गोयल लगभग 20 सालों तक भारतीय जनता पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे थे और केंद्र की तात्कालीन अटल सरकार में जहाजरानी मंत्री थे। पीयूष गोयल की मां चंद्रकांता गोयल भी मुंबई से तीन बार विधायक रही हैं। माता-पिता के सभी गुण पीयूष गोयल में नजर आते हैं।

रेल हादसों को थाम, किए कई बदलाव
मोदी सरकार में महत्वपूर्ण रेल मंत्रालय सुरेश प्रभु को दिया गया था। लेकिन एक के बाद एक हुए रेल हादसों की वजह से सुरेश प्रभु ने इस्‍तीफा दे दिया था। ऐसी संकट की घड़ी में पीयूष गोयल ने ही रेल मंत्रालय की जिम्‍मेदारी संभाली थी। तब से अब तक पीयूष गोयल रेल मंत्रालय का कार्यभार काफी जिम्‍मेदारी से निभा रहे हैं। इस दौरान रेलवे में काफी बदलाव देखने को मिला है। रेल हादसे भी इस दौरान काफी कम हुए हैं। हाल ही में पीयूष गोयल ने एलान किया कि रेलवे लाखों भर्तियां करने जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि यह रेलवे के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा भर्ती अभियान होगा, जिसमें लगभग चार लाभ लोगों को नौकरियां मिलेंगी।

रोशन किए गांव, सुधारी विधुत वितरण कंपनियों की सेहत
पीयूष गोयल की प्रतिभा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्‍छी तरह वाकिफ थे। इसलिए मोदी सरकार में पीयूष गोयल ने ऊर्जा मंत्री के तौर पर अपना काम शुरू किया था। इस दौरान ऊर्जा के क्षेत्र में काफी परिवर्तन देखने को मिले हैं। पीयूष गोयल ने निधार्रित समय सीमा में देश के 18000 गांवों का विद्युतीकरण कर एक नया कीर्तिमान स्‍थापित किया, जिसे मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। यही नहीं गोयल ने केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना और ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे बड़े सुधार 'उदय योजना' को सफलतापूर्वक लागू कराया और गांव के घर-घर तक बिजली पहुंचाने का काम किया। यह भारत की विद्युत वितरण करने वाली कम्पनियों के आर्थिक पुरुत्थान के लिये शुरू की गयी भारत सरकार की एक योजना है। यह 5 नवम्बर 2015 को आरम्भ हुई थी जिसके के तहत राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशो की घाटे में चल रही विधुत वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने एवं उनकी वितीय स्थिति को सुद्रढ करने का कार्य किया जा रहा है।

कोषाध्‍यक्ष से वित्‍त मंत्री तक, हर मोर्चे पर किया खुद को साबित
पीयूष गोयल के पिता लगभग 20 सालों तक भारतीय जनता पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे थे। वित्तीय मामलों में पीयूष गोयल की भी पकड़ काफी मजबूत पकड़ है। यही वजह है कि पीयूष गोयल को भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष की भूमिका दी गई थी। इस जिम्‍मेदारी को भी उन्‍होंने पूरी शिद्दत के साथ निभाया था। एक वजह यह भी है, जिसकी वजह से फिर वित्त मंत्री अरुण जेटली की तबीयत बिगड़ने पर वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार पीयूष गोयल को दिया गया है। अब पीयूष गोयल ही 1 फरवरी को भारत सरकार की ओर से अंतरिम बजट पेश करेंगे। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट पीयूष गोयल प्रबंधन के मुद्दों पर कई बड़ी कॉरपोरेट संस्थाओं के सलाहकार भी रहे हैं।

सोशल मीडिया के भी हैं मास्‍टर
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की ओर से जबरदस्‍त प्रचार किया गया था। सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर भी भाजपा ने कांग्रेस को हर मोर्चे पर मात दी थी। भाजपा की जीत में प्रचार और सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई थी। साल 2014 के आम चुनावों के दौरान भाजपा के प्रचार और सोशल मीडिया प्रसार की जिम्मेदारी भी गोयल के कंधों पर ही थी। 


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