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बगावत छोड़ कांग्रेस में लौटे सचिन पायलट, अगले विधानसभा चुनाव में पायलट होंगे सीएम चेहरा

गांधी परिवार ने भी पायलट को लौटने के बाद उनकी प्रतिष्ठा बरकरार रखने का वादा कर गतिरोध खत्म करने की राह बनाई।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 10:43 PM (IST)
बगावत छोड़ कांग्रेस में लौटे सचिन पायलट, अगले विधानसभा चुनाव में पायलट होंगे सीएम चेहरा
बगावत छोड़ कांग्रेस में लौटे सचिन पायलट, अगले विधानसभा चुनाव में पायलट होंगे सीएम चेहरा

संजय मिश्र, नई दिल्ली।  पिछले एक महीने से बगावती तेवर अपनाए बैठे सचिन पायलट अब हठ छोड़ कांग्रेस की राह चलने को तैयार हैं। राजस्थान विधानसभा सत्र से ठीक पहले अचानक तेज हुए राजनीतिक घटनाक्रम के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने सोमवार को पायलट को बुलाकर सीधी बातचीत की। इसमें पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ शिकायतों का पिटारा खोला तो हाईकमान ने समाधान निकालने का भरोसा दिया। पायलट ने भी कांग्रेस के साथ अपनी सियासी पारी जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।

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सचिन के लिए पार्टी की छतरी में रहना ही ज्यादा सुरक्षित 

हाईकमान ने भी पायलट व उनके समर्थक विधायकों की शिकायतों पर गौर कर हल निकालने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने की घोषणा कर दी। जाहिर है कि इस बहाने कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा में नंबर गेम को साधने की कोशिश की है। अपने खेमे के साथियों का समर्थन खोते जा रहे सचिन के लिए भी पार्टी की छतरी में रहना ही ज्यादा सुरक्षित है। राहुल गांधी के निवास पर करीब दो घंटे से अधिक चली बैठक में पायलट ने अपने साथ बागी विधायकों की वापसी के फॉर्मूले पर हाईकमान से सीधी बातचीत की। सुलह बैठक की मुख्य सूत्रधार रहीं प्रियंका गांधी भी इस दौरान पूरे समय न केवल मौजूद रहीं बल्कि बागियों की वापसी में आ रही अड़चनों को दूर करने में भी खासी सक्रिय दिखीं।

बगावत छोड़ने को राजी हुए सचिन पायलट

पार्टी सूत्रों ने बताया कि हाईकमान ने बगावत छोड़ने को राजी हुए सचिन पायलट को कांग्रेस में उनकी प्रतिष्ठा के हिसाब से पद देने का वादा किया है। साथ ही वापस लौटने वाले उनके समर्थक विधायकों को भी राजस्थान सरकार और प्रदेश संगठन में उचित जगह मिलेगी। बगावत की वजह से मंत्री पद से बर्खास्त किए गए विधायकों को दोबारा मंत्री बनाए जाने की संभावना है। हालांकि पायलट और उनके समर्थकों को तत्काल पद नहीं मिलेगा बल्कि शिकायतों पर गौर करने के लिए बनी समिति की रिपोर्ट के आधार पर सुलह का आखिरी फॉर्मूला निकलेगा।

अगले विधानसभा चुनाव में पायलट होंगे सीएम चेहरा

पायलट की डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के दोहरे पद पर वापसी की गुंजाइश बहुत कम है, लेकिन अगले चुनाव में कांग्रेस का सीएम चेहरा घोषित करने से लेकर एआइसीसी में महासचिव बनाने जैसे विकल्प पायलट के लिए जरूर खुले हुए हैं।

पायलट ने पार्टी और राजस्थान सरकार के हित में काम करने की प्रतिबद्धता जताई

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने देर शाम बयान जारी कर पायलट के कांग्रेस की राह पर लौटने की घोषणा करते हुए इस आशय का साफ संदेश भी दिया। उनके अनुसार पायलट ने सोमवार को राहुल गांधी से मुलाकात में सभी शिकायतों पर खुली-बेबाक और निर्णायक बातचीत की। पायलट ने इस दौरान कांग्रेस पार्टी और राजस्थान की कांग्रेस सरकार के हित में काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

पायलट और असंतुष्ट विधायकों की शिकायतों को लेकर तीन सदस्यीय समिति गठित होगी- सोनिया

वेणुगोपाल ने कहा कि राहुल-सचिन की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला किया है कि पायलट और असंतुष्ट विधायकों की शिकायतों पर गौर कर उनका उचित हल निकालने के लिए एआइसीसी की तीन सदस्यीय समिति गठित की जाएगी। विधायकों के लौटने की तैयारी शुरू हाईकमान से मुलाकात के कुछ घंटों बाद ही पायलट समर्थक विधायकों के भाजपा शासित हरियाणा के मानेसर स्थित होटल से जयपुर लौटने की तैयारी शुरू हो गई।

पायलट गुट के एक विधायक ने गहलोत से मुलाकात कर बागियों की सुलह को लेकर दिया संदेश

पायलट गुट के एक विधायक ने जयपुर जाकर अशोक गहलोत से मुलाकात कर बागियों की सुलह को लेकर गंभीरता का संदेश दिया। राजस्थान की सत्ता में निष्कंटक बने रहने के लिए बागी विधायकों की वापसी की जरूरत को देखते हुए जहां गहलोत ने सुलह की हामी भरी, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह बगावत को सिरे चढ़ाने में नाकाम रहे पायलट के पास भी मौजूदा हालात में अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए कांग्रेस में लौटने के अलावा बेहतर विकल्प नहीं था।

गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग छोड़नी पड़ी

गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग उन्हें छोड़नी पड़ी। उनके साथी 18 विधायक भाजपा में जाने को राजी नहीं थे। इनमें छह विधायक वापस लौटने के लिए गहलोत से संपर्क में थे। पायलट समर्थकों के पास विधानसभा की सदस्यता बचाने के लिए बगावत से लौटने के अलावा कोई चारा नहीं था। विश्वास मत के खिलाफ बागी विधायक वोटिंग करते तो उनकी सदस्यता का खत्म होना तय था। जाहिर तौर पर पायलट के समक्ष अपनी सियासी प्रतिष्ठा बचाने के लिए सुलह का रास्ता ही बच गया था।

पायलट ने भेजा था सुलह का संदेश

पार्टी सूत्रों के अनुसार पायलट ने इसके मद्देनजर ही दो दिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के जरिये हाईकमान को सुलह का सकारात्मक संदेश भेजा। हाईकमान भी कांग्रेस के मौजूदा संक्रमण के दौर में सिंधिया के बाद पायलट जैसे लोकप्रिय नेता को पार्टी से बाहर नहीं जाने देना चाहता। इसीलिए राहुल-प्रियंका ने तत्काल सचिन से वार्ता का फैसला किया। पायलट का गांधी परिवार से करीबी रिश्ता रहा है और पूरे संकट के दौरान उन्होंने हाईकमान के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला। इसीलिए गांधी परिवार ने भी पायलट को लौटने के बाद उनकी प्रतिष्ठा बरकरार रखने का वादा कर गतिरोध खत्म करने की राह बनाई।


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