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नोटबंदी पर संसदीय समिति की विवादास्पद रिपोर्ट भाजपा सांसदों ने रोकी

कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के फैसले का बड़ा असर हुआ है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 07:47 PM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 07:47 PM (IST)
नोटबंदी पर संसदीय समिति की विवादास्पद रिपोर्ट भाजपा सांसदों ने रोकी
नोटबंदी पर संसदीय समिति की विवादास्पद रिपोर्ट भाजपा सांसदों ने रोकी

नई दिल्ली, प्रेट्र। मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सदस्यता वाली एक संसदीय समिति की विवादास्पद रिपोर्ट ठप कर दी गई है। इस मसौदा रिपोर्ट को भाजपा सांसदों ने अपना कड़ा विरोध दर्ज करते हुए अवरुद्ध कर दिया है।

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कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति की मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के फैसले का बड़ा असर हुआ है। इसके चलते नकद की भारी कमी हो गई जिससे कई अनौपचारिक क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ गई है। साथ ही इससे जीडीपी में एक फीसद का नुकसान हुआ है। लिहाजा, 31 सदस्यीय समिति में शामिल सभी भाजपा सांसदों ने इसका जमकर विरोध किया है। इन सबने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के नेतृत्व में मोइली को एक असहमति पत्र भेजा है। इस पत्र पर निशिकांत दुबे समेत 12 भाजपा सांसदों के दस्तखत हैं।

इस पत्र में निशिकांत दुबे ने कहा है कि नोटबंदी सभी सुधारों की मां है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम का देशहित में सभी नागरिकों ने समर्थन किया था। मोदी सरकार के इस फैसले से कालेधन की आपूर्ति ठप पड़ गई थी। इससे महंगाई के परिदृश्य में भी सुधार आया था।

गौरतलब है कि इस संसदीय समिति में मनमोहन सिंह और वीरप्पा मोइली के अलावा कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शामिल हैं। समिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के शामिल होने के बावजूद कांग्रेस अपनी विवादास्पद रिपोर्ट के मसौदे को अंगीकार कराने में नाकाम है। चूंकि समिति के अध्यक्ष भले ही कांग्रेस नेता हों लेकिन सदस्य भाजपा के ही अधिक हैं।

दरअसल, मसौदा रिपोर्ट में नोटबंदी को बड़े ही नकारात्मक तरीके से पेश किया गया है, जो जाहिर तौर पर समिति में शामिल भाजपा सदस्यों के गले नहीं उतरा। संसद की यह स्थायी समिति करीब पिछले दो साल से केंद्र के इस फैसले को परखने में लगी है। साथ ही उसने वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और आरबीआइ के गर्वनर को इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2016-17 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि बंद किए गए एक हजार और पांच सौ के करीब एक फीसद नोट वापस हमारी प्रणाली में आ गए हैं। भारत सरकार ने आठ नवंबर, 2016 को एक हजार और पांच सौ के पुराने नोट तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए थे।
पुराने नोटों को बैंकों में जमा कराने की छूट दी गई थी, ताकि असामान्य स्तर की जमा राशि को आयकर महकमा अपने रडार पर ले सके। सरकार ने कुछ ही दिनों में 500 रुपये के नए नोट जारी किए जबकि एक हजार के नोट की जगह पहली बार दो हजार रुपये का नया नोट जारी किया गया था।


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