दस दिन में ही खत्म हो रहा मानसून सत्र, अनिश्चितकाल के लिए सदन स्थगित करने का फैसला
महामारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए मात्र दस दिन के बाद ही संसद की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का फैसला लिया गया है। राज्यसभा में गृह राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने इस बात की जानकारी दी।
नई दिल्ली, आइएएनएस। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले ही बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का फैसला लिया गया। देश में कोविड-19 के मामलों में तेजी से बढ़त देखी जा रही है और इसलिए सांसदों की सुरक्षा को देखते हुए यह फैसला लिया जा रहा है। गृह राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने राज्यसभा को इस बात की जानकारी दी।
बता दें कि 14 सितंबर से शुरू होने वाले मानसून सत्र को 1 अक्टूबर तक चलना था लेकिन महामारी के मामलों को देश में बढ़ता हुआ देख संसद की कार्यवाही को दस दिनों में ही समाप्त करना पड़ा।
उन्होंने कहा, 'मुझे सांसदों को सूचित करना है कि सरकार ने फैसला किया है कि वो आज सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का सिफारिश करेगी। लेकिन लोकसभा में कुछ महत्वपूण विधायी कार्य शेष है जिसे पारित करने के बाद ही सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाएगा।' उल्लेखनीय है कि मंगलवार को सदन में विपक्षी पार्टियों ने कार्यवाही का बहिष्कार किया और बेंच खाली पड़े थे। इस सबके बीच सदन की कार्यवाही चलती रही और कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया।
लोकसभा की भी कार्यवाही आज तीन घंटे की देरी से शाम 6 बजे शुरू की जाएगी। महत्वपूर्ण विधायी कार्यों को निपटाने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के आरंभ में ही अनेकों सांसदों के कोविड-19 संक्रमित होने के मामले सामने आए जिससे जोखिम अधिक बढ़ गया। हालातों को देखते हुए सरकार ने संसद के सत्र को मात्र दस दिनों में ही खत्म करने की सिफारिश की।
बता दें कि कृषि विधेयक पारित होने पर विपक्षी दलों के विरोध करने के अलावा NDA के घटक दल शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal-SAD) ने भी विरोध किया और मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया। हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।