किसानों से जुड़े बिलों के विरोध पर भाजपा ने कांग्रेस को घेरा, लगाया झूठ की राजनीति करने का आरोप
नड्डा ने कांग्रेस के झूठ को उजागर करते हुए कहा कि अब जब मोदी सरकार इसे लागू करने के लिए विधेयक ला रही है तो कांग्रेस इसका विरोध करने लगी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। किसानों से संबंधित तीन विधेयकों के विरोध को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। तीनों विधेयकों को 'किसानों की तस्वीर और तकदीर बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने' का दावा करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से लोगों को गुमराह करने और झूठ की राजनीति करती आई है। नड्डा ने कहा कि कांग्रेस एक ओर तो कृषि सुधारों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में रखती है, लेकिन दूसरी ओर से संसद के भीतर उन्हीं सुधारों का विरोध कर किसानों को बरगलाने की कोशिश करती है।
मंडी विधेयक संभवत: गुरुवार को लोकसभा से पारित कराने की कोशिश होगी। कांग्रेस के साथ कुछ दूसरे विपक्षी दलों ने भी विरोध का मन बनाया है। जेपी नड्डा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त किये जाने की आशंकाओं को भी सिरे से खारिज करते हुए कहा कि 'एमएसपी था, है और रहेगा।' लेकिन राजनीतिक दल झूठ फैला रहे हैं। नड्डा के अनुसार कांग्रेस ने खुद 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में कृषि उत्पाद मार्केट कमेटी एक्ट और आवश्यक वस्तु कानून को बदलने का वादा किया था। यही नहीं, संप्रग सरकार के दौरान कांग्रेस शासित कर्नाटक, असम, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सरकारों ने फलों और सब्जियों मंडी कानून से हटा दिया था।
नड्डा ने कांग्रेस के झूठ को उजागर करते हुए कहा कि अब जब मोदी सरकार इसे लागू करने के लिए विधेयक ला रही है, तो कांग्रेस इसका विरोध करने लगी है। नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार ने तीनों विधेयकों को किसानों के हित को ध्यान में रखकर तैयार किया है और ये किसानों की आमदनी तेजी से बढ़ाने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि 1955 का आवश्यक वस्तु कानून उस समय का है, जब देश खाद्यान्न की बहुत कमी थी। इसकी जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए यह कानून जरूरी था। लेकिन जब देश का अन्न भंडार भरा है और किसान पर्याप्त मात्रा में उत्पादन कर रहे हैं, तो उन्हें इन कड़े कानूनों के बंधन से मुक्त करने जरूरी हो गया है।
बता दें कि मंडी कानून में संशोधन में किसान सुविधाजनक तरीके किसान अपने उत्पाद बेचने की व्यवस्था है। इसके बाद किसान तय करेगा कि वह अपना अनाज कहां बेचेगा। उसे जहां अच्छा दाम मिल रहा है, वहां बेचने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा। अभी किसानों को अपना उत्पाद मंडी में ही बेचने की मजबूरी थी। इसी तरह कांट्रैक्ट खेती से संबंधित विधेयक में भी किसानों के हितों का पूरा ख्याल रखा गया है। अभी तक खेतों के असली मालिक इस डर से बटाई पर खेत नहीं देते थे कि कहीं खेती करने वाला मालिक नहीं बन जाए।
नया विधेयक एक ओर इस डर को निर्मूल करेगा, तो साथ ही किसानों के हितों की भी रक्षा करेगा। यह कांट्रैक्ट सीमित समय के लिए होगा, स्थानीय भाषा में होगा। खेत के लिए नहीं, बल्कि खास उत्पाद के लिए होगा। उन्होंने कहा कि तीनों ही बिल किसानों के हित में हैं और किसान को सही दाम मिलने में जितनी भी रुकावटें थी उसे दूर करने वाली हैं।