Move to Jagran APP

संसद के दोनों सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास, विपक्ष ने सरकार पर चर्चा से भागने का लगाया आरोप

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास हो गया। विपक्ष ने सरकार पर बिना चर्चा के इस विधेयक के पास कराने का आरोप लगाया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 04:49 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 05:14 PM (IST)
संसद के दोनों सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास, विपक्ष ने सरकार पर चर्चा से भागने का लगाया आरोप
सोमवार को लोकसभा और राज्य सभा दोनों सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास हो गया।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास हो गया। विपक्ष ने सरकार पर बिना चर्चा के इस विधेयक के पास कराने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार पर चर्चा से डरने का आरोप लगाया। वहीं सपा सांसद जया बच्चन ने कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा, जहां विपक्ष को बोलने की इजाजत नहीं दी गई। 

loksabha election banner

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस सरकार पर कुछ ऐसे लोगों के समूह का कब्जा है जो गरीब विरोधी है और किसानों-मजदूरों के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। कानूनों का निरस्त करना किसानों और मजदूरों की जीत है। सरकार को अब एमएसपी की मांग भी स्वीकार करनी चाहिए। इन कानूनों को जिस प्रकार से बिना चर्चा के रद्द किया गया वह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत हुई उनके बारे में चर्चा होनी चाहिए थी।

राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा जहां विपक्ष को बोलने की भी अनुमति नहीं दी गई। इतना महत्वपूर्ण बिल राज्यसभा में बिना किसी चर्चा के पारित हो गया। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि संसद में कार्यवाही कैसे चल रही है। मैं कई वर्षों से सांसद हूं लेकिन यह पहली बार है जब मैं ऐसा माहौल देख रहा हूं, जहां विपक्ष के नेता जब बोल रहे थे तब केंद्रीय मंत्री की ओर से बीच में ही बीच में रोक दिया गया और उनको अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।

कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जो लोग किसान को नकली बताते थे आज उनको एहसास हुआ कि इनकी वोट असली है इसलिए उन्होंने अपने कदम पीछे हटाए। आज लोकतंत्र की फिर से हत्या हुई है। इस (कृषि क़ानून) पर चर्चा न पारित कराते समय हुई न वापस लेते समय हुई। यह लोकतंत्र नहीं ठोकतंत्र है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक नुकसान दिख रहा था इसलिए उनको मजबूरी में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत हुई उनके परिवारों की मदद कौन करेगा? उन्‍होंने कहा था कि किसानों की आय दोगुनी होगी। सरकार को ये बताना चाहिए कि जिस समय किसानों ने ये आंदोलन छेड़ा था तब भाजपा का क्या रुख था और आज जब भाजपा ने कानून वापस ले लिया है तो ये किसानों के हक में कैसे हो गया?

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि सुधार बिल जब आए थे तब व्यापक रूप से चर्चा हुई थी। कृषि कानूनों को वापस लेना एक सर्वसम्मत विषय था। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि आप लोग (विपक्ष) अपने स्थान पर बैठे तो वह चर्चा कराने के लिए तैयार हैं, अगर चर्चा होती तो सरकार उसका जवाब देती। सरकार ने छोटे किसानों की मदद के लिए 10 लाख FPOs बनाने की घोषणा की है। इस पर 6,850 करोड़ रुपए खर्च होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.