और पुख्ता तरीके से बेनकाब होगा पाकिस्तान का आतंकी चेहरा
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जब भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता है तो पाकिस्तान सरकार हाफिज पर नकेल कसती है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद और उसके संगठनों पर पाकिस्तान सरकार के नए फैसले से भले ही जमीनी तौर पर बहुत बदलाव नहीं आये हों लेकिन फिर भी इसका फायदा भारत को होगा। इस फैसले की मदद से भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने में आसानी होगी। साथ ही दूसरे देशों को यह बताने में भी सहूलियत होगी कि पाकिस्तान तब तक कदम नहीं उठाता है जब तक अंतरराष्ट्रीय दबाव न पड़े। भारत हाफिज सईद पर लगे इस प्रतिबंध के जरिए पुख्ता तरीके से यह बता सकता है कि पाकिस्तान अपने आतंकियों को अंत-अंत तक बचाता है।
हाफिज सईद व उसके संगठन पर प्रतिबंध को बनाया जाएगा हथियार
वैसे हाफिज सईद व उसके संगठनों जमात-उल-दावा और फलह-ए-इंसानियत समेत कई संगठनों को आतंकरोधी कानून,1997 के तहत लाने के लिए पाकिस्तान सरकार की तरफ से अध्यादेश लाने के फैसले पर भारत ने आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इसके पीछे एक वजह यह है कि जनवरी, 2017 में हाफिज सईद समेत चार आतंकियों को नजरबंद करने के बाद उन पर आतंकरोधी कानून लागू किया था। तब यह माना गया था कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते दबाव को देखते हुए यह फैसला किया गया है।
लेकिन सईद के खिलाफ इस कानून के तहत चार्जशीट दायर नहीं किया गया। लिहाजा नवंबर, 2017 में लाहौर उच्च न्यायालय ने उसकी रिहाई की घोषणा कर दी थी। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया तो जताई ही थी लेकिन अमेरिका ने भी पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाते हुए हाफिज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही थी।
पहले भी दो बार हाफिज सईद के खिलाफ लगाया गया है आतंक रोधी कानून
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जब भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता है तो पाकिस्तान सरकार हाफिज पर नकेल कसती है और बाद में उसे धीरे धीरे ढील दे देती है। इसके पहले वर्ष 2008 में ही उसे आतंकरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। लेकिन तब भी उसके खिलाफ वहां की जांच एजेंसियां सबूत पेश नहीं कर पाई थी। हालांकि मुंबई हमले में उसकी संलिप्तता को उजागर करते हुए वर्ष 2009 में भारत ने पाकिस्तान समेत कई प्रमुख देशों को एक डोजियर भेजा था। पाकिस्तान सरकार ने उस डोजियर को कभी गंभीरता से नहीं लिया।
पिछले वर्ष जब हाफिज को नजरबंद किया गया था तब भी भारत को उम्मीद थी कि इस बार उस कार्रवाई होगी। इसकी वजह यह थी कि पाकिस्तान ने तब अपनी आतंकरोधी कानून को संशोधन कर मजबूत बनाने का दावा किया था। लेकिन हाफिज की गतिविधियों पर कोई लगाम नहीं लगा। हद तो तब हो गई जब कोर्ट में हर सुनवाई के बाद उसे मीडिया के सामने कश्मीर पर प्रलाप करने की छूट दी गई। इसमें वह जम कर भारत विरोधी भड़ास निकालता था। यहीं जिस कानून के तहत उसे गिरफ्तार किया गया था उसके तहत कभी उसकी संपत्तियों और पुरानी गतिविधियों की जांच नहीं की गई।
बहरहाल, भारतीय पक्ष मानता है कि पाक सरकार की तरफ से इस तरह की कार्रवाई से यह बात साबित होती है कि हाफिज सईद को वह आतंकी मानती है। यह एक तरह से भारत के दावे का समर्थन है। पाकिस्तान के लिए यह तर्क देना मुश्किल होगा कि सईद की गतिविधियां सिर्फ राजनीतिक व समाजिक कार्यो से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में पाक सेना व वहां की सरकार के सहयोग से फल फूल रहे आतंकी संगठनों के बारे में भारत अब ज्यादा पुख्ता तरीके से अपनी बात रख सकेगा।