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Kashmir Issues: यूएन में मुंह की खाने के बावजूद बाज नहीं आएंगे पाक व चीन

चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग अक्टूबर में भारत आएंगे जबकि सितंबर में पीएम मोदी की रुस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अमेरिका में वार्ता करने वाले है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 08:42 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 06:50 AM (IST)
Kashmir Issues: यूएन में मुंह की खाने के बावजूद बाज नहीं आएंगे पाक व चीन
Kashmir Issues: यूएन में मुंह की खाने के बावजूद बाज नहीं आएंगे पाक व चीन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र स्थाई परिषद (यूएनएससी) में शुक्रवार को जम्मू व कश्मीर के मसले पर बंद कमरे में हुई बैठक में पाकिस्तान व चीन की जुगलबंदी को भले ही मुंह की खानी पड़ी हो, लेकिन इससे दोनो देश की रणनीति पर फर्क नहीं पड़ने वाला है।

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संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि उनकी तरफ से यूएनएससी में कश्मीर को दोबारा उठाने की कोशिश जारी रहेगी। ऐसे में भारत अपनी कूटनीति को और चाक चौबंद करने में जुट गया है। इस संदर्भ में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की अगले दो से तीन महीनों के भीतर चीन, रुस, अमेरिका और जर्मनी के शीर्ष नेताओं के साथ होने वाली द्विपक्षीय वार्ताओं का महत्व भी बढ़ गया है।

कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा

पाक विदेश मंत्री कुरैशी ने शनिवार को इस्लामाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए साफ किया कि उनका देश चीन व अन्य सामान विचारधारा वाले देशों के साथ मिल कर कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र के भीतर उठाने की लगातार कोशिश करता रहेगा।

इसके पहले शुक्रवार को यूएनएससी की हुई बैठक में चीन के प्रतिनिधि का रुख ना सिर्फ बेहद भारत विरोधी रहा था बल्कि उनकी तरफ से बाद में दिए गए वक्तव्य में भी यह कहा गया कि चीन के लिए कश्मीर की चिंताजनक स्थिति गंभीर मसला है जिस पर वह आगे भी मशविरा करता रहेगा।

जानकार भी मान रहे हैं कि कश्मीर में धारा 370 हटाने के फैसले के बाद चीन को भारत पर दबाव बनाने का एक जरिया मिल गया है और वह इसे आजमाता रहेगा। रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी के मुताबिक चीन ने अनौपचारिक तौर पर बंद कमरे में बैठक बुलाना उसका एक और आक्रामक कदम है।

भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख व रणनीतिक टिप्पणीकार वेद प्रकाश मलिक का कहना है कि चीन व पाकिस्तान का गठबंधन भारत को एक नकारात्मक संदेश देने में सफल रहा है।

भारत के कूटनीतिक सर्किल में भी यह माना जा रहा है कि सुरक्षा परिषद के चीन समेत सभी 15 देशों के साथ भारत के साथ कश्मीर को लेकर लगातार संपर्क बना कर रखना होगा। आने वाले दिनों में सुरक्षा परिषद के तीन स्थाई सदस्यों - अमेरिका, रूस और चीन और जर्मनी समेत कुछ अन्य अस्थाई सदस्यों के साथ स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय बैठक होने वाली है। सितंबर, 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी की रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अमेरिका में बातचीत करने वाले हैं।

चीन के राष्ट्रपति का भारत दौरा

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर में भारत आएंगे जबकि भारत व जर्मनी के बीच शीर्ष वार्ता अक्टूबर या नवंबर में तय करने के लिए बातचीत जारी है। सनद रहे कि जर्मनी अभी सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य है।

सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को यूएनएससी की बैठक में कश्मीर पर चीन के विचार से और किसी भी देश ने सहमति नहीं दिखाई और ना ही इस बात की उम्मीद है कि इन देशों के रुख में आगे भी कोई बदलाव आएगा। इसके बावजूद भारत को सभी सदस्यों के साथ लगातार संपर्क में रहना होगा।

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