आतंकी हमला करवाने के बाद सुबूत मांगना पाकिस्तान की पुरानी साजिश
पठानकोट हमले का उदाहरण सामने है जिसकी जांच पाकिस्तान सरकार ने अपनी एसआईटी से करवाई, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कदम उठाया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद पहली बार इस पर बयान देते हुए पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कहा है कि भारत के पास अगर इसके बारे में कोई सुबूत है तो उसे जारी करना चाहिए। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि भारत इस हमले की तहकीकात करना चाहता है तो पाकिस्तान उसके लिए भी तैयार है।
पठानकोट हमले की जांच की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाला
समस्या यह है कि पाकिस्तान के पुराने रिकार्ड को देखते हुए शायद ही भारत उनकी बात पर यकीन करने को तैयार हो। तीन वर्ष पहले हुए पठानकोट हमले का उदाहरण सामने है जिसकी जांच पाकिस्तान सरकार ने अपनी विशेष जांच टीम (एसआईटी) से करवाई, लेकिन उसकी रिपोर्ट ना तो सार्वजनिक की गई और ना ही दोषियों के खिलाफ कोई कदम उठाया।
इसके पहले पठानकोट हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर ना सिर्फ उस घटना पर दुख जताया था बल्कि उसकी साजिशकर्ताओं के खिलाफ शर्तिया कार्रवाई करने की बात कही थी। उसके बाद जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर को नजरबंद भी किया गया था लेकिन बाद में ना उसे छोड़ दिया गया बल्कि उसके संगठन के लोगों को खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियों में भी संलग्न होते देखा जा सकता है। इसके पहले मुंबई हमले की साजिश रचने वालों को लेकर भी भारत का अनुभव यही है कि पाकिस्तान उसे लटकाता रहता है।
मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ नहीं उठाया कोई कदम
पिछले 10-11 वर्षो के दौरान भारत की तरफ से मुंबई हमले की साजिश में शामिल अपराधियों के खिलाफ पक्के सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान ने अभी तक उन्हें सजा दिलाने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की है। असलियत में पाकिस्तान सरकार वह सब कुछ करती है कि इस बारे में कानूनी कार्रवाई सही तरीके से नहीं चल सके।