राजनाथ की पाक को फटकार, कहा- इमरान आतंकियों व उनके वित्तीय नेटवर्क के खिलाफ कदम उठाएं
राजनाथ सिंह ने कहा कि सिर्फ एक देश (पाकिस्तान) की नीतियों के कारण दक्षेस के पूरे सामर्थ्य का उपयोग नहीं किया जा सका है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के खिलाफ आतंकवाद को सरकारी नीति बनाने पर पाकिस्तान को जमकर फटकारा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए।
12वां दक्षिण एशिया सम्मेलन
12वें दक्षिण एशिया सम्मेलन में मंगलवार को रक्षा मंत्री ने कहा कि यह जरूरी है कि आतंकवादियों, उनकी विचारधारा और उनके वित्तीय नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए और उन्हें किसी भी तरह से सरकारी मदद न मिले।
भारत पाक को छोड़कर पड़ोसियों से वार्ता के जरिए शांति और सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है
उन्होंने कहा कि भारत केवल एक देश को छोड़कर अपने पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के जरिये क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए संयुक्त रूप से कार्य कर रहा है।
क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा का सच्चा रास्ता एक-दूसरे की संवेदनशीलता को समझने में है
राजनाथ ने कहा कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा का सच्चा रास्ता एक-दूसरे की संवेदनशीलता को समझने में है। एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी न देना ही मूल सिद्धांत है।
आतंकवाद के खिलाफ दक्षिण एशिया क्षेत्र को एकजुट होना होगा
उन्होंने आग्रहपूर्वक कहा कि आतंकवाद के खिलाफ प्रयासों में दक्षिण एशिया क्षेत्र को एकजुट होना होगा। मुंबई, पठानकोट, उरी और पुलवामा आतंकी हमले पड़ोसी देश के प्रायोजित आतंकवाद की बार-बार याद दिलाते हैं। पाकिस्तान को आतंकवादी संगठनों के खिलाफ स्पष्ट रूप से कड़े कदम उठाने चाहिए।
राजनाथ ने कहा- सिर्फ एक देश की नीतियों के कारण दक्षेस का पूरा उपयोग नहीं
राजनाथ सिंह ने कहा कि सिर्फ एक देश (पाकिस्तान) की नीतियों के कारण दक्षेस के पूरे सामर्थ्य का उपयोग नहीं किया जा सका है। सिंह ने कहा कि भारत ने हमेशा वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन को फलीभूत किया है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश नीति में पड़ोसी देशों से संबंधों को खासी अहमियत दी गई है।
भारत ने अपनी समृद्धि को पड़ोसियों से हमेशा साझा करने का किया प्रयास
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी इसी नीति के तहत 2014 में दक्षेस और 2019 में शपथग्रहण समारोह में बिम्सटेक के नेताओं को आमंत्रित किया था। भारत ने अपनी समृद्धि को अपने पड़ोसियों से हमेशा साझा करने का प्रयास किया है। चूंकि यह अपने विकास और विस्तार के लिए भी जरूरी है।