आतंकी संगठनों के नाम और उनकी शरणस्थली को बदलने में जुटा पाकिस्तान
जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उसमें जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का बेटा हम्माद अजहर और दो भाई मौलाना अम्मार और मुफ्ती अब्दुल रऊफ भी शामिल है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत में आतंकी वारदातों के बाद जब भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ता है तो पड़ोसी देश यह दिखाने में जुट जाता है कि वह आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने में सख्ती दिखा रहा है। कुछ ही दिन बीतने के बाद फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। पुलवामा हमले और उसके बाद भारत की तरफ से बालाकोट में की गई कार्रवाई के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने 44 आतंकियों को नजरबंद करने और आतंकी सगंठनों की गतिविधियों को लगाम लगाने जैसी कुछ कार्रवाई की, लेकिन हफ्ते भर बीतते ही इसकी सच्चाई सामने आने लगी है।
भारत को इस बात की सूचना मिली है कि बढ़ते दबाव को देखते हुए आतंकी ढांचे को बिल्कुल नए सिरे से तैयार करने की प्रक्रिया शुरु की गई है। आतंकी संगठनों के मुखिया को बदला जा रहा है, इनके नए अड्डे बनाये जा रहे हैं और नाम भी बदले जा रहे हैं, ताकि इनकी गतिविधियां सामान्य तौर पर चलती रहें।
आतंकियों के संगठन में बदलाव के पीछे पाकिस्तान पर बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव भी एक वजह है। पूर्व में भी वह अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात उल दावा के काम काज को लश्करे तैयबा के नाम से संचालन किया करता था। जब इस पर दबाव बनने लगा तो इसका नाम तहरीके आजादी जम्मू कश्मीर रखा गया। साथ ही जिहाद के नाम पर चंदा जुटाने वाली इसकी शाखा का नाम फलाह-ए-इंसानियत रखा गया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी फंडिंग को रोकने में जुटी एजेंसी एफएटीएफ की निगरानी में आने के बाद इन संगठनों के लिए वित्तीय सुविधा जुटाना मुश्किल हो गया है। इसलिए इनका दूसरा नाम दिया जा रहा है। साथ ही मौलाना मसूद अजहर के संगठन जैश की गतिविधियों को बहावलपुर में सीमित किया जा रहा है और उनका सारा काम काज अब पेशावर से नियंत्रित हो रहा है। साथ ही हाल के दिनों में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मुरिदके और गोजरा में भी इसकी गतिविधियां होने का पता चला है।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की कार्रवाई का सच सामने आने लगा है। हमें पहले से शक था कि बालाकोट हमले के कुछ दिन बाद जो कदम उठाये गये थे वे सिर्फ दिखावे के लिए थे। जो सूचनाएं पाकिस्तान से आ रही है वह बताती है कि वहां आतंकी संगठनों के प्रमुख बदले जा रहे हैं और सिर्फ साइनबोर्ड हटाया जा रहा है। इसमें कोई गंभीरता नहीं है।
पूछताछ के लिए हिरासत में लेने को कतई गंभीर नहीं माना जा सकता। अगर पाकिस्तान सरकार आतंकवाद के खिलाफ गंभीर है तो उसे दाउद इब्राहिम, सैयद सलाउद्दीन जैसे आतंकियों को भारत को लौटा देना चाहिए। ये भारतीय नागरिक हैं जो भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के बाद दशकों से पाकिस्तान में पनाह पाये हुए हैं।
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक पठानकोट हमले के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से इस तरह की कार्रवाई की गई थी लेकिन इस बार की कार्रवाई पहले से भी ज्यादा कमजोर है। पठानकोट हमले के बाद जैश सरगना मसूद अजहर व उसके दो रिश्तेदारों के नजरबंद होने की पक्की सूचना मिली थी।
इस बार सिर्फ पाकिस्तान की एजेंसियों की तरफ से जारी बयान में ऐसा कहा गया है। कहीं से भी इस तरह की सूचना नहीं मिली है कि आतंकियों के ठिकाने पर धड़पकड़ की गई हो। बालाकोट कार्रवाई के बाद 5 मार्च को पाकिस्तान ने कहा कि कई आतंकी संगठनों के 44 नुमाइंदों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उसमें जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का बेटा हम्माद अजहर और दो भाई मौलाना अम्मार और मुफ्ती अब्दुल रऊफ भी शामिल है।