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विपक्षी पार्टियों ने की मांग, इनकम टैक्स नहीं देने वाले सभी परिवारों को छह महीने तक 7500 रुपये दे सरकार

कांग्रेस के नेतृत्‍व में विपक्षी दलों ने सरकार के सामने रखी गई अपनी 11 सूत्री चार्टर मांगों में नकद सहायता के साथ कोरोना के दौर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी का सवाल भी उठाया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 12:20 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 12:24 AM (IST)
विपक्षी पार्टियों ने की मांग, इनकम टैक्स नहीं देने वाले सभी परिवारों को छह महीने तक 7500 रुपये दे सरकार
विपक्षी पार्टियों ने की मांग, इनकम टैक्स नहीं देने वाले सभी परिवारों को छह महीने तक 7500 रुपये दे सरकार

संजय मिश्र, नई दिल्ली। विपक्ष की 22 पार्टियों ने इनकम टैक्स के दायरे से बाहर देश के सभी परिवारों को अगले छह महीने तक हर महीने 7500 रुपये देने की केंद्र सरकार से मांग की है। साथ ही कहा है कि लॉकडाउन से बढ़ी आर्थिक चुनौतियों से उबरने के लिए इस नगद सहायता के तहत सरकार तत्काल 10000 रुपये और बाकी अगले पांच महीने तक सीधे कैश ट्रांसफर करे।

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विपक्षी दलों ने सरकार के सामने रखी गई अपनी 11 सूत्री चार्टर मांगों में नकद सहायता के साथ कोरोना के दौर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी का सवाल भी उठाया है। इस पर अपनी चिंता का इजहार करते हुए सरकार से तत्काल संसदीय निगरानी की प्रक्रियाओं को बहाल करने और राजनीतिक दलों से भी संवाद शुरू करने की मांग उठाई है।

22 विपक्षी दलों ने 11 सूत्री चार्टर मांग सरकार के सामने रखीं

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में कोरोना संकट के हालातों पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई चार घंटे से अधिक चली मैराथन बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में 11 सूत्री मांगों को सरकार के सामने रखा गया है। सबसे पहली मांग देश के हर उस परिवार को छह महीने तक 7500 रुपये देने की है जो आयकर के दायरे से बाहर है। दूसरे मांग के तौर पर हर जरूरतमंद को छह महीने तक 10 किलो मुफ्त राशन और मनरेगा का बजट बढ़ाते हुए 200 दिन का काम देने की मांग की गई है।

इस चार्टर में प्रवासी मजदूरों के निशुल्क उनकी घर वापसी का इंतजाम करने व विदेशों में फंसे छात्र-छात्राओं व नागरिकों को तुरंत स्वदेश लाने की मांग शामिल है। श्रम कानूनों में महामारी की आड़ में किए जा रहे मनमाने बदलावों को रोकने और जो बदलाव किए गए हैं, उन्हें वापस लेने की बात भी उठाई गई है। रबी फसल की एमएसपी पर खरीददारी सुनिश्चित करने और खरीफ की खेती के लिए खाद-बीजों का प्रबंध करने को कहा गया है।

लॉकडाउन का एक्जिट प्लान बताने को कहा गया

राज्यों के प्रांत और जिला स्तर पर कोरोना से लड़ाई लड़ने की बात उठाते हुए उन्हें विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग की गई है। साथ ही केंद्र सरकार से लॉकडाउन का एक्जिट प्लान बताने को कहा गया है। सरकार पर संसदीय निगरानी को बहाल करने के साथ-साथ राजनीतिक दलों से मशविरा कर उनके सुझावों को गंभीरता से लेने की प्रक्रिया को भी बहाल करने की बात उठाई गई है।

सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज को मायाजाल बताते हुए मांग की गई है कि अर्थव्यवस्था को सुधारने और रोजगार को बहाल करने के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित किया जाए। चार्टर की आखिरी मांग के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय व अंतराज्यीय हवाई यात्रा शुरू करने से पहले राज्य सरकारों से मंत्रणा करने को कहा गया है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बैठक में शामिल हुई 22 विपक्षी पार्टियां देश की 60-70 फीसद आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन मांगों को अगर नहीं सुना जाएगा साबित हो जाएगा कि मोदी सरकार देश की जनता की बात नहीं सुन रही है।

आर्थिक पैकेज को देश के साथ क्रूर मजाक करार दिया

इससे पहले सोनिया गांधी ने बैठक को संबोधित करते हुए प्रवासी मजदूरों के पलायन से लेकर अर्थव्यवस्था के संकट पर सरकार को घेरते हुए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज को देश के साथ क्रूर मजाक करार दिया। साथ ही राज्यों के साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं की अनदेखी का सवाल उठाते हुए कहा कि सत्ता की सभी ताकतें केवल प्रधानमंत्री कार्यालय तक सीमित होकर रह गई हैं। ससंद या संसदीय समितियों की बैठकें बुलाए जाने के भी कोई संकेत नहीं हैं। विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में भी कहा गया है कि यह वक्त न शोमैनशिप और न ही वनमैनशिप का है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राज्यों को कोविद से लड़ाई में पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं देने का मुद्दा उठाया। एचडी देवगौड़ा, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, हेमंत सोरेन, तेजस्वी यादव, एमके स्टालिन, उमर अब्दुल्ला समेत विपक्ष के तमाम बड़े चेहरे लंबे अर्से बाद विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हुए। समाजवादी पार्टी और बसपा ने पूर्व की तरह बैठक से अपनी दूरी बनाए रखी तो कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को इसमें आने का न्यौता ही नहीं दिया था।

सोनिया ने आर्थिक पैकेज पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे आर्थिक व रोजगार के संकट का तात्कालिक समाधान नहीं निकलेगा। उनके मुताबिक दुनिया के कई नामी आर्थिक विशेषज्ञों का आकलन है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत ज्यादा गंभीर होगी और इस साल विकास दर -5 फीसद तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में भी जरूरतमंद लोगों के साथ सरकार का हमदर्दी नहीं दिखाना दिल तोड़ने वाला कदम है।

22 विपक्षी दलों की बैठक में शामिल दलों व नेताओं के नाम

-सोनिया गांधी, राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, रणदीप सुरजेवाला- कांग्रेस

-एचडी देवेगौड़ा- जेडीएस

-शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल- एनसीपी

-ममता बनर्जी, डेरेक ओब्रायन- तृणमूल कांग्रेस

-उद्धव ठाकरे, संजय राउत- शिवसेना

-हेमंत सोरेन- झामुमो

-एमके स्टालिन- द्रमुक

-तेजस्वी यादव, मनोज झा- राजद

-जीतन राम मांझी- हम

-उपेंद्र कुशवाहा- रालोसपा

-जयंत चौधरी- रालोद

-उमर अब्दुल्ला- नेशनल कांफ्रेंस

-सीताराम येचुरी- माकपा

-डी राजा-भाकपा

-शरद यादव- लोकतांत्रिक जनता दल

- जोश के मणि- केरल कांग्रेस एम

-एनके प्रेमचंद्रन- आरएसपी

-बदरूद्दीन अजमल- एआइयूडीएफ

- पीके कुनहलकुट्टी- आइयूएमएल

-राजू शेट्टी- स्वाभिमान पक्ष

-टी. तिरूमावलावन- वीसीके

-प्रोफेसर कोनडंडराम- टीजेएस


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