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आर्थिक मंदी-बेरोजगारी के खिलाफ संसद से सड़क तक संग्राम करेगा विपक्ष, 13 पार्टी हुईं एकजुट

विपक्षी दलों ने संसद के भीतर ही नहीं बाहर भी सरकार की नाकामियों को उजागर करने के लिए साझा रणनीति पर सहमति जताई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 06:09 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 09:20 PM (IST)
आर्थिक मंदी-बेरोजगारी के खिलाफ संसद से सड़क तक संग्राम करेगा विपक्ष, 13 पार्टी हुईं एकजुट
आर्थिक मंदी-बेरोजगारी के खिलाफ संसद से सड़क तक संग्राम करेगा विपक्ष, 13 पार्टी हुईं एकजुट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियां आर्थिक मंदी और बढ़ती बेरोजगारी से लेकर किसानों की खराब हालत के खिलाफ संसद से सड़क तक सरकार की घेरेबंदी करेंगी। वहीं वाट्सएप जासूसी कांड पर सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए विपक्षी दल राष्ट्रपति के पास जाएंगे। सरकार पर पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिज्ञों की जासूसी कराने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दल राष्ट्रपति को संयुक्त ज्ञापन सौंपने पर भी राजी हो गए हैं। कांग्रेस की अगुआई में 13 विपक्षी दलों की हुई बैठक में सरकार के खिलाफ संग्राम के इन मुद्दों पर सहमति बनी। हालांकि विपक्षी दलों की इस बैठक में एनसीपी शामिल नहीं हुई तो तृणमूल कांग्रेस ने भी अपना एक नुमाइंदा भेजकर केवल सांकेतिक मौजूदगी ही दर्ज करायी। जबकि आम आदमी पार्टी को आमंत्रित की नहीं किया गया था।

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कांग्रेस की पहल पर हुई इस बैठक की अध्यक्षता राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने की जिसमें द्रमुक, राजद, टीएमसी, जेडीएस, आरएलएसपी, माकपा, भाकपा, आरएसपी, आइयूएमएल, केरल कांग्रेस और एलजेडी के नेता शामिल हुए। सपा और बसपा तो पहले से ही विपक्षी खेमे की बैठकों से अपनी दूरी बनाती रही हैं।

गुलाम नबी आजाद बोले, जीडीपी छह साल के निचले स्तर पर

इस बैठक के बाद विपक्षी नेताओं के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है। जीडीपी छह साल के निचले स्तर पर है तो उद्योग, निर्यात, कारोबार से लेकर बाजार सभी जगह आर्थिक मंदी का असर है। किसानों को एमएसपी से भी काफी कम दाम मिल रहे और उनकी हालत बदतर है। इन सब वजहों से बेरोजगारी भी 50 साल के सबसे खराब दौर में पहुंच गई है। इन मुद्दों पर पांच से 15 नवंबर तक सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर रखी है।

विपक्षी दलों ने इन मुद्दों पर संसद के भीतर ही नहीं बाहर भी सरकार की नाकामियों को उजागर करने के लिए साझा रणनीति पर सहमति जताई है। मुक्त व्यापार समझौते आरसेप पर हस्ताक्षर के खिलाफ भी विपक्षी दल मुखर आवाज उठाएंगे। मोदी सरकार को बीते 70 साल की सबसे असंवेदनशील सरकार करार देते हुए आजाद ने कहा कि देश ने कभी ऐसी सरकार नहीं देखी जिसे जनता के तकलीफों की परवाह ही नहीं है।

वाट्सएप जासूसी कांड पर सख्त कार्रवाई की मांग

वाट्सएप जासूसी कांड को लेकर विपक्ष का रुख पूछे जाने पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस बैठक में इसको लेकर चर्चा की गई। चूंकि यह आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित बैठक थी इसीलिए तय हुआ कि जासूसी कांड के मसले पर विपक्षी दलों की जल्द अलग से मंत्रणा कर साझी रणनीति तय की जाएगी। वहीं बैठक में शामिल एक विपक्षी नेता ने कहा कि इसको लेकर सैद्धांतिक सहमति बन गई है कि जासूसी कांड को लेकर विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति को संयुक्त ज्ञापन सौंप इसकी निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की मांग करें।

द्रमुक नेता टीआर बालू ने कहा कि आर्थिक हालत इतने चिंताजनक हैं कि प्रधानमंत्री को विदेश भ्रमण छोड़ स्थिति सुधारने का प्रयास करना चाहिए। लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव ने दिखाया है कि जनता आगे बढ़ चुकी है और अब विपक्षी दलों को उनके पीछे लगकर संसद से सड़क तक इस सरकार के खिलाफ संग्राम में उतरना है। वामपंथी दल बैठक में तो मौजूद थे मगर संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुए।

13 दलों की बैठक में शामिल नेता

गुलाम नबी आजाद-कांग्रेस

अहमद पटेल-कांग्रेस

राजीव शुक्ल-कांग्रेस

रणदीप सुरजेवाला-कांग्रेस

टीआर बालू- द्रमुक

शरद यादव- एलजेडी

मनोज झा-राजद

उपेंद्र कुशवाहा- आरएलएसपी

अजीत सिंह- रालोद

नदीमुल हक- तृणमूल कांग्रेस

डी कुपेंद्र रेड्डी- जेडीएस

टीके रंगराजन- माकपा

डी राजा- भाकपा

विनय विश्वम-भाकपा

शत्रुजीत सिंह- आरएसपी

पीके कुनहलकुट्टी- आइयूएमएल

जोस के मणि-केसीएम

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