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राज्यसभा संग्राम पर हमलावर विपक्ष राष्ट्रपति से मिलेगा, कृषि विधेयकों को जबरन पारित कराने का लगाया आरोप

विपक्षी दलों ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए आठ सांसदों को निलंबित किए जाने के बाद एक संयुक्त पत्र राष्ट्रपति को भेजा है। विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात का समय मांगा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 07:40 PM (IST)
राज्यसभा संग्राम पर हमलावर विपक्ष राष्ट्रपति से मिलेगा, कृषि विधेयकों को जबरन पारित कराने का लगाया आरोप
संसद परिसर में विरोध करते विपक्षी सांसद

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने राज्यसभा में कृषि सुधार विधेयकों को 'जबरन' पारित कराने का आरोप लगाते हुए इन्हें मंजूरी नहीं देने के लिए राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस समेत सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने राज्यसभा में हंगामे के बीच संसदीय नियमों की अनदेखी कर जबरन बिल पारित कराने के उपसभापति हरिवंश के आचरण पर गंभीर सवाल उठाते हुए राष्ट्रपति से इन दोनों विधेयकों की मंजूरी नहीं देने की मांग की है। विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन के बाद किसानों के मुद्दे पर राज्यसभा में हुए अभूतपूर्व टकराव ने और गंभीर सियासी रुप से ले लिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर मैदान में उतरते हुए राज्यसभा की घटना और विपक्षी सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र की आवाज बंद करने का उदाहरण करार दिया।

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विपक्षी दलों ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए आठ सांसदों को निलंबित किए जाने के बाद एक संयुक्त पत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा। विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात का समय भी मांगा है। राष्ट्रपति मंगलवार को विपक्षी नेताओं को मिलने का समय दे सकते हैं। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति को भेजे पत्र में विपक्षी दलों ने राज्यसभा में रविवार को कृषि सुधारों से जुड़े विधेयकों को पारित कराने के दौरान विपक्ष के सांसदों की वोटिंग से लेकर दूसरे संवैधानिक अधिकार की हरिवंश ने जिस तरह अनदेखी की उससे रूबरू कराया गया है। साथ ही कहा गया है कि जबरन बिल पारित कराकर भाजपा सरकार ने संसद में लोकतंत्र की हत्या की है। विपक्षी पार्टियों ने गैर संवैधानिक तरीके से जबरन बिल पारित किए जाने के तर्को के साथ इसे किसान विरोधी बताते हुए राष्ट्रपति से दोनों विधेयकों को मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया है।

राष्ट्रपति को भेजे गए इस संयुक्त पत्र पर कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, वामपंथी पार्टियां, राजद, समाजवादी पार्टी जैसे दलों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं।

राहुल गांधी ने कहा, बंद की जा रही लोकतंत्र की आवाज

राहुल गांधी ने राज्यसभा में विधेयक पारित कराने के तरीके के बाद आठ सांसदों के निलंबन को लेकर आक्रामक हमला करते हुए ट्वीट में कहा 'भारत की लोकतांत्रिक आवाज को चुप कराया जाना जारी है। पहले आवाज बंद करके और उसके बाद सांसदों को संसद से निलंबित करके। साथ ही कृषि से जुड़े काले कानूनों पर किसानों की चिंता को लेकर आंखों पर पट्टी बांध ली गई है।' राहुल ने दूसरे ट्वीट में कहा 'मोदी सरकार का अंधा अहंकार देश की बदहाली के लिए कभी भगवान तो कभी जनता को दोषी ठहराता है, लेकिन खुद के कुशासन और गलत नीतियों को नहीं। देश कितने और एक्ट ऑफ मोदी झेलेगा।'

कांग्रेस की ओर से रणदीप सुरजेवाला, अधीर रंजन चौधरी और प्रताप सिंह बाजवा ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि संसद में प्रजातंत्र का गला घोंट उसका खात्मा किया जा रहा। लोकतंत्र एकपक्षीय तानाशाही बन गई है और आठ विपक्षी सांसदों का निलंबन इसका प्रमाण है। सुरजेवाला ने कहा कि 100 से अधिक सांसदों ने हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया उस पर वोटिंग कराए बिना खारिज किया गया।


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