बिहार में एनडीए के अंदर अंदरूनी घमासान, विपक्ष की टिकी निगाहें
विपक्षी खेमे को भी बिहार में एनडीए का यह रार रास आ रहा है और उसका मानना है कि सूबे के सियासी माहौल में इसका असर तो होगा ही।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बिहार में एनडीए के अंदरूनी घमासान पर करीबी निगाह रख रहे विपक्षी खेमे ने साफ संकेत दिए हैं कि उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के लिए विपक्षी गठबंधन का दरवाजा खुला है। लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव से कुशवाहा की हुई मुलाकात में रालोसपा को एनडीए की तुलना में ज्यादा लोकसभा सीटें देने का साफ संकेत दे दिया गया। जदयू विशेष रुप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बेहद नाराज कुशवाहा भले ही एनडीए के साथ हैं मगर उन्होंने भी विपक्षी गठबंधन से संभावित दोस्ती की राह खुला रखने का जवाबी संदेश दिया।
विपक्षी एकजुटता के मुख्य पैरोकारों में शामिल शरद यादव से अपनी मुलाकात को उपेंद्र कुशवाहा ने भले ही शिष्टाचार भेंट बताया मगर विपक्षी खेमे के सूत्रों ने साफ किया कि रालोसपा नेता की बातचीत से साफ था कि एनडीए में वे बेहद असहज हैं। भाजपा कुशवाहा को संतुष्ट करने के लिए नीतीश कुमार की नाराजगी मोल लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में कुशवाहा की पार्टी को बिहार की दो से ज्यादा लोकसभा सीट मिलने की गुंजाइश नहीं है। इसीलिए एनडीए पर दबाव बनाने और विपक्षी खेमे से बेहतर डील की दोहरी रणनीति के तहत कुशवाहा एक ओर भाजपा नेतृत्व पर भरोसा जता रहे तो दूसरी ओर विपक्षी नेताओं से मिल रहे। इस दोहरे दांव के तहत ही कुशवाहा ने सोमवार को सबेरे ही शरद यादव से उनके घर पर जाकर मुलाकात की और बाहर आकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे कटाक्ष के तीर चलाए।
विपक्षी खेमे को भी बिहार में एनडीए का यह रार रास आ रहा है और उसका मानना है कि सूबे के सियासी माहौल में इसका असर तो होगा ही। विपक्ष इस पर भी गंभीर है कि एनडीए के लव-कुश समीकरण को तोड़ने के लिए रालोसपा को उचित तवज्जो दिया जाए। कांग्रेस और राजद के नेताओं का मानना है कि कुशवाहा यदि एनडीए छोड़ उनके साथ आते हैं तो लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन का पलड़ा भारी रहेगा।
कुशवाहा ने रालोसपा के दो विधायकों को तोड़ने की कोशिशों को लेकर भी नीतीश पर निशाना साधा और कहा कि वे इस प्रयास में सफल भी रहे तो उनका कोई राजनीतिक नुकसान नहीं होगा क्योंकि उनकी पार्टी का संगठन है। रालोसपा एक-दो व्यक्तियों की पार्टी नहीं है।