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कांग्रेस के हाथ से छूटा प्याज, लोकसभा में पेश नहीं हो सकी प्याज के अर्थशास्त्र की पूरी तस्वीर

सांसद कुलदीप राय शर्मा ने स्वीकार किया कि सभापति के आसन के नजदीक होने की वजह से वह इस महत्वपूर्ण सवाल को आगे नहीं बढ़ा सके। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 07:45 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 07:17 AM (IST)
कांग्रेस के हाथ से छूटा प्याज, लोकसभा में पेश नहीं हो सकी प्याज के अर्थशास्त्र की पूरी तस्वीर
कांग्रेस के हाथ से छूटा प्याज, लोकसभा में पेश नहीं हो सकी प्याज के अर्थशास्त्र की पूरी तस्वीर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्याज खाने में ही नहीं हमेशा से राजनीति में भी महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने को लेकर परेशान कांग्रेस के हाथ से प्याज छूट गया। मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस के दो सांसदों की तरफ से लोकसभा में प्याज की बढ़ी हुई कीमतों, मांग व आपूर्ति के अंतर और सरकार की तरफ से उठाये जाने वाले कदमों के बारे में विस्तृत सवाल पूछा गया था और उम्मीद थी कि सरकार की तरफ से प्याज के अर्थशास्त्र की पूरी तस्वीर पेश की जाएगी।

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सरकार के खिलाफ नारेबाजी

जब प्रश्न काल में इस सवाल का वक्त आया तो सवाल पूछने वाले सांसद लोकसभाध्यक्ष के आसन के पास गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा नहीं मिलने के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। सभापति ने इस पर कोई सवाल-जबाव के ही खारिज कर दिया और अनुपूरक सवालों की अनुमति भी नहीं दी।

जवाब देने के लिए कृषि मंत्री सदन में मौजूद थे

देश में प्याज की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी का सवाल कांग्रेस के दो सांसद कुलदीप राय शर्मा और डीन कुरियाकोसे ने पूछे थे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उनके मंत्रालय के दोनों राज्य मंत्री तब संसद में ही उपस्थित थे और माना जा रहा था कि सरकार की तरफ से प्याज के उत्पादन व आपूर्ति का पूरा गणित सार्वजनिक तौर पर पेश किया जाएगा। देश यह जान सकेगी कि आखिरकार प्याज की कीमतें क्यों 80-100 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है।

प्याज की कीमतों पर सवाल रद

कहने की जरुरत नहीं कि प्याज की कीमतों पर सवाल रद होने से सबसे ज्यादा राहत सत्ता पक्ष ने ही ली होगी। दैनिक जागरण ने इस बारे में सांसद कुलदीप राय शर्मा से पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि लोकसभाध्यक्ष के आसन के नजदीक होने की वजह से वह इस महत्वपूर्ण सवाल को आगे नहीं बढ़ा सके। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा।


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