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OBC Bill: सभी राजनीतिक पार्टियों ने ओबीसी विधेयक के बहाने अपने-अपने वोट बैंक पर लगाया दांव

राज्यों को ओबीसी की पहचान कर सूची बनाने का अधिकार देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने वोट बैंक को लुभाने के लिए आरक्षण की पैरोकारी में एक दूसरे को पछाड़ने का जमकर दांव चला।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 10:00 PM (IST)
OBC Bill: सभी राजनीतिक पार्टियों ने ओबीसी विधेयक के बहाने अपने-अपने वोट बैंक पर लगाया दांव
कांग्रेस ने आरक्षण सीमा 50 फीसद से बढ़ाने की पैरोकारी की तो बाकी दलों ने भी इसमें मिलाए सुर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यों को ओबीसी की पहचान कर सूची बनाने का अधिकार देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने वोट बैंक को लुभाने के लिए आरक्षण की पैरोकारी में एक दूसरे को पछाड़ने का जमकर दांव चला।

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कांग्रेस ने आरक्षण सीमा 50 फीसद से बढ़ाने की पैरोकारी की तो बाकी दलों ने भी इसमें मिलाए सुर

इस बिल को पारित कराने के लिए संसद के संग्राम को विराम देने वाली कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन करते हुए दो कदम आगे बढ़कर आरक्षण की मौजूदा 50 फीसद की अधिकतम सीमा को बढ़ाए जाने की पैरोकारी की। तो जदयू, सपा, बसपा से लेकर द्रमुक जैसे दलों ने भी अपनी राजनीति को साधते हुए पूरे देश में जातीय जनगणना कराए जाने की मांग उठाई।

सत्ता पक्ष और विपक्ष की एकजुटता बेमिसाल

पेगासस पर तीन हफ्ते से जारी घमासान के बीच तमाम पार्टियों ने चाहे अपनी सियासी वोट बैंक को साधने के लिए भरपूर दांव लगाया मगर इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष की एकजुटता भी बेमिसाल रही।

अधीर रंजन ने कहा- सरकार की चूक से राज्यों का ओबीसी सूची का अधिकार छिन गया था

लोकसभा में ओबीसी सूची से संबंधित इस विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पहले तो पेगासस जासूसी कांड के मुद्दे को उठाया। इसके बाद बिल का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की चूक से राज्यों का ओबीसी सूची का अधिकार छिन गया था और इस विधेयक के जरिए सरकार अपनी गलती को सुधार रही है। अब समय आ गया है कि सरकार आरक्षण की मौजूदा अधिकतम 50 फीसद की सीमा की समीक्षा कर इसे बढ़ाने के रास्ते पर विचार करे। अधीर रंजन ने कहा कि सरकार को इस पर गौर करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के इंद्रा साहनी फैसले की कानूनी बंदिश की बाधा विधायी रूप से कैसे दूर की जा सकती है।

केंद्र ने न कराई तो उप्र में हमारी सरकार बनते ही कराएंगे जाति गणना : अखिलेश

सपा नेता अखिलेश यादव ने भी बिल का समर्थन करते हुए जातीय जनगणना कराए जाने की मांग उठाई और कहा कि केंद्र सरकार ने जाति आधारित गणना नहीं कराई तो उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार बनते ही हम जाति गणना कराएंगे। उन्होंने भी अधीर रंजन की तरह आरक्षण की मौजूदा 50 फीसद की अधिकतम सीमा को खत्म कर इसे बढ़ाने की मांग की।

सपा, जदयू, बसपा सरीखे दलों ने जातीय जनगणना कराने की उठाई मांग

जदयू के राजीव रंजन सिंह ललन ने सरकार की नीयत को सही बताया, लेकिन जातीय जनगणना की हिमायत करते हुए ललन ने भी सरकार से इस दिशा में कदम उठाने के लिए कहा। बसपा के रितेश पांडेय ने भी इसी तरह की राय जाहिर की। द्रमुक के टीआर बालू ने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए आरक्षण की 50 फीसदी सीमा खत्म कर इसे बढ़ाने की मांग का समर्थन किया। शिवसेना ने भी इसका समर्थन किया और मराठा आरक्षण पर अपनी सियासत साधने के लिए पार्टी नेता विनायक दामोदर ने तो 50 फीसद आरक्षण सीमा खत्म करने के लिए विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव भी दे दिया। हालांकि उनका संशोधन प्रस्ताव बहुमत से खारिज हो गया।

यूपी के चुनाव को ध्यान में रखकर विधेयक लाया गया: माकपा

माकपा नेता एएम आरिफ ने बहस में हिस्सा लेते हुए बिल का समर्थन तो किया मगर भाजपा सरकार पर उत्तर प्रदेश के अगले चुनाव को ध्यान में रखकर विधेयक को लाने का आरोप लगाया। अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने चर्चा में हिस्सा तो लिया मगर विधेयक पर बात कहने की बजाय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का मुददा उठाया।


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