एनपीआर होगा अपडेट, लोगों से नहीं मांगे जाएंगे दस्तावेज; जाने कब से होगा शुरू
एनपीआर के डाटा एकत्र करने के दौरान किसी से भी किसी तरह का कोई प्रूफ कोई दस्तावेज या बायोमीट्रिक नहीं लिया जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। असम को छोड़कर पूरे देश में अगले साल राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट किया जाएगा। अप्रैल से सितंबर, 2020 के बीच देश भर में घरों की गिनती के दौरान एनपीआर के लिए डाटा भी एकत्रित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में एनपीआर को अपडेट करने और जनगणना के लिए लगभग 13 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने साफ किया कि एनपीआर के डाटा एकत्र करने के दौरान किसी से भी किसी तरह का कोई प्रूफ, कोई दस्तावेज या बायोमीट्रिक नहीं लिया जाएगा। लोग जो जानकारी देंगे, उसे मान लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 'सरकार को अपने नागरिकों पर पूरा भरोसा है।
जनगणना से पहले एनपीआर
गौरतलब है कि जनगणना से पहले एनपीआर तैयार किया जाता है। 2021 की जनगणना के बाबत इसकी तैयारी हो गई है, लेकिन जिस तरह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर राजनीतिक संग्राम और आंदोलन छिड़ा है उसे देखते हुए खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सामने आकर स्पष्ट किया कि इसका एनआरसी से कोई संबंध नहीं है। सबसे पहले 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने ही एनपीआर तैयार कराया था। दस साल बाद सरकार ने इसे अपडेट करने का फैसला भर किया है।
दस्तावेज के लिए बाध्यता नहीं
शाह ने साफ किया कि एनपीआर के लिए केंद्र सरकार ने 31 जुलाई को ही अधिसूचना जारी कर दी थी। इसके बाद सभी राज्यों ने भी अधिसूचना जारी कर दी। शाह ने कहा कि यदि एनपीआर को लेकर कोई आशंका होती, तो राज्य सरकारें अधिसूचना क्यों जारी करतीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक को कोई दस्तावेज या जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। शाह ने यह भी कहा कि एनआरसी को लागू करने के लिए सरकार में विचार-विमर्श की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है।
राज्य सरकारों से बात
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ कड़े रूख के साथ ही पश्चिम बंगाल और केरल द्वारा एनपीआर तैयार नहीं करने के एलान पर अमित शाह ने कहा कि वे और गृहमंत्रालय के अधिकारी इस संदर्भ में संबंधित राज्य सरकारों से बात करेंगे। वे नहीं चाहेंगे कि कोई भी राज्य एनपीआर से बाहर रहे, क्योंकि इससे मुख्यतौर पर वहां रहने वाले गरीबों को नुकसान होगा और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वे वंचित रह जाएंगे।
2010 के जैसा ही होगा
कैबिनेट के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए प्रकाश जावडेकर ने कहा कि एनपीआर से किसी को कोई दिक्कत होने का सवाल नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह उसी तरह से है जैसा कि 2010 में हुआ था। उन्होंने भी कहा कि एनपीआर के तहत किसी को कोई जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। इस बार एनपीआर का डाटा जुटाने के लिए घर-घर जाकर विस्तृत डाटा एकत्रित करने के साथ-साथ एक एप के सहारे भी डाटा हासिल किया जाएगा। कोई व्यक्ति इस एप के जरिए अपनी पूरी जानकारी दे सकता है।
9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच
जावडेकर ने कहा कि देश में नौ फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच होने वाली 16वीं जनगणना डिजिटल होगी। लगभग 30 लाख कर्मचारी जनगणना के आंकड़ों को एप के जरिए एकत्रित करेंगे और इस पर कुल 8754 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। अभी तक जनगणना के आंकड़ें आने में कई साल लग जाते थे, जबकि डिजिटल जनगणना के आंकड़े एक-दो साल में ही सरकार के पास उपलब्ध हो जाएंगे और उसका इस्तेमाल सरकारी योजनाओं को बनाते समय किया जा सकेगा।