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अब गरीबों का पैसा चिटफंड में डूबने नहीं पाएगा, चिट फंड संशोधन बिल लोकसभा में पारित

देश में लगभग 30 हजार पंजीकृत चिट फंड कंपनियां हैं। जबकि हजारों की संख्या में गैर-पंजीकृत कंपनियां भी काम कर रही हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 11:48 PM (IST)
अब गरीबों का पैसा चिटफंड में डूबने नहीं पाएगा, चिट फंड संशोधन बिल लोकसभा में पारित
अब गरीबों का पैसा चिटफंड में डूबने नहीं पाएगा, चिट फंड संशोधन बिल लोकसभा में पारित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को चिट फंड संशोधन विधेयक, 2019 पास हो गया। वर्ष 2013 में पश्चिम बंगाल में हुए सारधा घोटाले के बाद से ही देश में इस क्षेत्र के काम काज को पारदर्शी तरीके से चलाने व इन पर नियमन को कसने की जरुरत महसूस की जा रही थी जो अब उक्त विधेयक के पारित होने से संभव हो सकेगा।

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चिट फंड चलाने वाले प्रबंधक फोरमैन का कमीशन बढ़ा

नए विधेयक के मुताबिक अब चार या इससे कम लोगों के बीच चिट फंड चलाने के लिए न्यूनतम राशि की सीमा तीन लाख रुपये कर दी गई है जो पहले एक लाख रुपये थी। अगर चार या इससे ज्यादा व्यक्ति साझेदार हैं तो चिट फंड की राशि की सीमा 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 16 लाख रुपये कर दी गई है। इसके साथ ही चिट फंड चलाने वाले प्रबंधक फोरमैन के लिए कमीशन का हिस्सा पांच फीसद से बढ़ा कर सात फीसद किया गया है। वहीं इसका भी प्रावधान है कि कम से कम दो सदस्य मौजूद हो वह भले ही वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हो। फोरमैन इस पूरी प्रक्रिया की रिकार्डिग करेगा।

चिट फंड व्यवस्था को बंधुत्व फंड के तौर पर जाना जाएगा

चिट फंड संशोधन विधेयक, 2019 का मुख्य उद्देश्य इसके काम काज को पारदर्शी बनाने के साथ ही इसके साथ जुड़े बदनामी को भी खत्म करना है। यही वजह है कि विधेयक में कहा गया है कि चिट फंड व्यवस्था को बंधुत्व फंड, आवर्ती बचत योजना या ऋण संस्थान के तौर पर जाना जाएगा। दरअसल चिट फंड से आभाष होता है कि कोई चीट (धोखा) कर रहा है।

चिट फंड में किसी भी गरीब या आम जनता का पैसा न डूबे

चिट फंड संशोधन विधेयक पर लोकसभा में जारी चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार की मंशा यही है कि कोई भी गरीबों का पैसा ले कर गायब न हो सके और अगर गरीबों ने किसी स्कीम में पैसा लगाया है तो उसका एक-एक पैसा वापस मिले। ठाकुर ने यह स्पष्ट किया कि सभी को यह समझना चाहिए कि पोंजी स्कीम और चिट फंड में अंतर है। पोंजी स्कीमों पर पूरी तरह से पाबंदी है। सरकार यह चाहती है कि चिट फंड बेहतर तरीके से चले और इसमे किसी भी गरीब या आम जनता का पैसा न डूबे।

बैंकिंग सिस्टम आम जनता को जोड़ने में असफल- टीएमसी

इसके पहले इस विधेयक पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद स्वागत राय ने कहा कि पोंजी स्कीमों या चिट फंड स्कीमों की लोकप्रियता की दो वजहें हैं। पहला कि देश का बैंकिंग सिस्टम आम जनता को अपने से जोड़ने में असफल रहा और दूसरा, देश की वित्तीय नियामक एजेंसियां असफल रही।

चिट फंड ने त्रिपुरा की आर्थिक स्थिति बदहाल कर दी- भाजपा

भाजपा सांसद प्रतिमा भौमिक ने इस विधयेक की जरुरत बताते हुए कहा कि चिट फंड ने उनके राज्य त्रिपुरा की आर्थिक स्थिति बदहाल कर रख दी है। त्रिपुरा की आबादी 37 लाख है और इसमें से 16 लाख लोगों को चिट फंड से नुकसान हुआ है। राज्य का कुल बजट 16 हजार करोड़ रुपये का है जबकि 10 हजार करोड़ रुपये की लूट चिट फंड कंपनियों ने की है।

चिट फंड और पोंजी स्कीम से हजारों परिवार बर्बाद हो चुके- आप

आप पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कहा कि चिट फंड और पोंजी स्कीम चलाने वाली कंपनियों से हजारों परिवार बर्बाद हो चुके हैं। अपने संसदीय क्षेत्र के छाजरी गांव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसी तरह की एक कंपनी से धोखा खाए 10 लोगों ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने का आग्रह किया। ध्यान रहे कि देश में लगभग 30 हजार पंजीकृत चिट फंड कंपनियां हैं। जबकि हजारों की संख्या में गैर-पंजीकृत कंपनियां भी काम कर रही हैं।

संशोधित विधेयक के मुख्य बिंदू

1. चिट फंड न्यूनतम राशि की सीमा 1 लाख से बढ़ा कर 3 लाख रुपय

2. फ्रैटरनिटी फंड, आवर्ती जमा के तौर पर जाना जाएगा चिट फंड

3. फोरमैन की कमीशन 5 से बढ़ा कर 7 फीसद किया गया

4. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी हिस्सा लिया जा सकेगा चिट फंड में।


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