Ayodhya Case: अब कल्याण सिंह को करना पड़ सकता है अयोध्या मामले में सुनवाई का सामना
Supreme Court ने CBI को निर्देश भी दिया था कि जैसे ही कल्याण सिंह राज्यपाल के पद से मुक्त होते हैं तुरंत उन्हें Ayodha Case में आरोपित बनाया जाए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में सुनवाई का सामना करना पड़ सकता है। तीन सितंबर को कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें राज्यपाल के रूप में सुनवाई से मिली संवैधानिक छूट भी खत्म हो जाएगी।
19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ पुन: आपराधिक साजिश का मामला शुरू करने का आदेश दिया था। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तक तहत राज्यपाल को मिली छूट के चलते कल्याण सिंह को आरोपित की तरह सुनवाई का सामना करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है।
अदालत ने CBI को निर्देश भी दिया था कि जैसे ही कल्याण सिंह राज्यपाल के पद से मुक्त होते हैं, तुरंत उन्हें मामले में आरोपित बनाया जाए। अनुच्छेद 361 के तहत कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति या राज्यपाल पर कोई आपराधिक या दीवानी मामला नहीं चलाया जा सकता है। कोई अदालत उन्हें समन नहीं भेज सकती है। सूत्रों का कहना है कि अगर राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल पूरा होने के बाद कल्याण सिंह पुन: किसी संवैधानिक पद पर नहीं भेजे जाते हैं, तो उन्हें सुनवाई का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है मामला?
कल्याण सिंह पर आरोप है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में राष्ट्रीय एकीकरण परिषद को उन्होंने भरोसा दिलाया था कि वह विवादित ढांचे को गिरने नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केवल सांकेतिक कार सेवा की अनुमति दी थी। हालांकि कल्याण ने कथित तौर पर इसके विपरीत काम किया। CBI का यह आरोप भी है कि कल्याण ने केंद्रीय बलों के प्रयोग की अनुमति नहीं दी थी। इस आधार पर 1997 में विशेष अदालत ने कहा था, 'प्रथम दृष्टया वह निश्चित तौर पर आपराधिक साजिश का हिस्सा लगते हैं।'
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